मोहम्मद यूनुस
ढाका: बांग्लादेश के राजनीतिक विशेषज्ञों ने भारत से सहयोग की उम्मीद जताई है। कई राजनीतिक विश्लेषकों और विदेशी संबंध और सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञों ने रविवार को कहा कि अगर भारत बांग्लादेश में हो रही सत्ता हस्तांतरण प्रक्रिया का समर्थन करता है। साथ ही किसी एक व्यक्ति और पार्टी पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय अन्य राजनीतिक दलों के साथ भी संबंध बनाने की दिशा में आगे बढ़ता है, तो इससे उसे फायदा होगा।
विश्लेषकों का यह भी मानना है कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ व्यवहार दोनों देशों के संबंधों में एक महत्वपूर्ण कारक होगा।
भारत बांग्लादेश एक दूसरे पर निर्भर
अग्रणी थिंकटैंक बीईआई यानी बांग्लादेश एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के प्रमुख हुमायूं कबीर ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा कि मुझे लगता है कि हमारे संबंधों को फिर से तय करने के लिए आपसी समझ शुरुआती बिंदु होनी चाहिए, क्योंकि हम एक-दूसरे पर निर्भर हैं, इसलिए हमें अपने संबंधों को पुनर्निर्धारित करने के लिए एक-दूसरे की जरूरत है।
भारत के लिए मौका
हुमायूं कबीर ने कहा कि बांग्लादेश का पड़ोसी होने के नाते भारत मुश्किल समय में हमेशा हमारे साथ रहा है। साथ ही बदलाव की मौजूदा प्रक्रिया के दौरान भी यदि वह हमारा समर्थन करता है तो मुझे लगता है कि बांग्लादेश के लोग भारत को एक मित्र के रूप में देखेंगे।
धीरे से भारत को कटाक्ष
कबीर ने आगे कहा कि भारत यदि बांग्लादेश में जारी सत्ता हस्तांतरण प्रक्रिया का सकारात्मक तरीके से समर्थन करता है। और इस बदलाव की विशिष्टता को ध्यान में रखते हुए किसी एक व्यक्ति और पार्टी पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय अन्य राजनीतिक दलों के साथ संबंध बनाने की दिशा में आगे बढ़ता है तो इससे उसे लाभ होगा।
बांग्लादेश की वास्तविकता देखनी चाहिए
बीआईपीएसएस यानी बांग्लादेश शांति एवं सुरक्षा अध्ययन संस्थान (BIPSS) के अध्यक्ष सेवानिवृत्त मेजर जनरल मुनीरुज्जमां ने कहा कि भारत को बांग्लादेश की वास्तविकता देखनी चाहिए, जहां जन क्रांति हुई है।
उन्होंने कहा, भारत को इतिहास के सही पक्ष की तरफ होना चाहिए और बांग्लादेश के लोगों के साथ सहयोग करने की इच्छा व्यक्त करनी चाहिए। बहुत लंबे समय से उन्हें एक विशेष पार्टी और नेता का पक्ष लेते देखा गया है।
मुनीरुज्जमां ने पीटीआई से कहा कि द्विपक्षीय संबंध लोगों के आपसी संबंधों पर आधारित होने चाहिए। उन्होंने कहा कि हम भारत से ऐसी मित्रता की उम्मीद करते हैं, जो हमारे राष्ट्रीय हित पर आधारित हो।
बांग्लादेश के ‘सेंटर फॉर पॉलिसी डायलॉग (CPD) के अर्थशास्त्री देबप्रिय भट्टाचार्य ने कहा कि शांति, सुरक्षा और विकास के दृष्टिकोण से बांग्लादेश और भारत के संबंध दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
भट्टाचार्य ने पीटीआई से कहा कि बांग्लादेश ने भारतीय जनता के फैसले का सम्मान करते हुए कांग्रेस के सत्ता से हटने के बाद भाजपा की सरकार को सहयोग दिया और इससे उसे लाभ हुआ।
भारत को भी अब ऐसा ही करना चाहिए, क्योंकि छात्र-नागरिक विद्रोह के माध्यम से अवामी लीग सरकार को सत्ता से हटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि आगामी दिनों में भारत को विश्वास और आपसी हित के आधार पर संबंधों का पुनर्निर्माण करना होगा
उसे संबंधित देश के किसी विशेष राजनीतिक दल का बंधक नहीं रहना चाहिए। क्योंकि यह संबंध द्विदलीय सहमति पर आधारित होना चाहिए और दोनों देशों को इस दिशा में काम करने की जरूरत है।
भट्टाचार्य ने आगे कहा, हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि एक देश में धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय दूसरे देश में बहुसंख्यक है और इसलिए हमारे देशों में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ व्यवहार हमारे संबंधों में एक महत्वपूर्ण कारक होगा।
मोहम्मद यूनुस
सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध-प्रदर्शनों के बीच शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद वर्षीय नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने आठ अगस्त को ऐसे समय में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रूप में शपथ ली, जब देश हिंसा और अराजकता से जूझ रहा है।
हसीना को सरकारी नौकरियों में आरक्षण प्रणाली के खिलाफ छात्रों के बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद इस्तीफा देना पड़ा था और इसके बाद वह पांच अगस्त को देश छोड़कर भारत चली गई थीं। (एजेंसी)