कट्टरपंथियों के दबाव में झुकी यूनुस सरकार, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Bangladesh Ban Music Teacher: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने शनिवार को घोषणा की कि अब देश के प्राथमिक स्कूलों में न तो संगीत शिक्षक और न ही शारीरिक शिक्षक की नियुक्ति की जाएगी। इस फैसले को लेकर सरकार पर धार्मिक समूहों के दबाव में झुकने के आरोप लग रहे हैं।
यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश में शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद इस्लामी संगठनों का प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है। कई कट्टरपंथी संगठन जैसे जमात-ए-इस्लामी, इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश, खिलाफत मजलिस और बांग्लादेश खिलाफत आंदोलन, हाल के महीनों में सरकार पर खुला दबाव डाल रहे हैं कि शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह धार्मिक मूल्यों पर आधारित किया जाए।
रिपोर्ट के अनुसार, कट्टरपंथी समूहों ने सितंबर में साफ कहा था कि सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में केवल धार्मिक शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए। उन्होंने संगीत और शारीरिक शिक्षा को जबरन और अप्रासंगिक बताया था। उनका कहना था कि संगीत शिक्षा से बच्चों का धार्मिक विश्वास कमजोर होता है।
इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश के प्रमुख सैयद रेजाउल करीम ने कहा कि जब हम बचपन में धार्मिक अध्ययन करते थे तब हिंदुओं और मुसलमानों के लिए अलग-अलग शिक्षक होते थे। अब आप संगीत शिक्षक क्यों नियुक्त करना चाहते हैं? क्या वे हमारे बच्चों को चरित्रहीन बनाना चाहते हैं? करीम ने चेतावनी दी कि अगर यूनुस प्रशासन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं देता, तो देशभर में इस्लामी समुदाय सड़कों पर उतरने को मजबूर होगा।
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सरकारी प्रवक्ता अख्तर खान ने हालांकि इस फैसले पर किसी राजनीतिक दबाव को मानने से इनकार किया। मीडिया से बातचीत में उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि आप खुद जांच कर सकते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला बांग्लादेश को अफगानिस्तान की राह पर ले जा सकता है, जहां तालिबान ने स्कूलों में संगीत शिक्षा पर सख्त प्रतिबंध लगाया है। अब बांग्लादेश भी धीरे-धीरे उसी धार्मिक कट्टरता के रास्ते पर बढ़ता दिख रहा है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों ने यूनुस सरकार के इस कदम की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि यह न सिर्फ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है, बल्कि बच्चों को समग्र शिक्षा से वंचित करने वाला कदम भी है।