बांग्लादेश हिंसा की एक फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Bangladesh violence 2025: शुक्रवार को बांग्लादेश दो भयावह घटनाओं से दहल उठा। पहली वारदात में इस्लामिक कट्टरपंथियों ने एक सूफी संत की मजार को अपवित्र कर उनके शव को आग के हवाले कर दिया। दूसरी ओर, जातीय पार्टी के दफ्तर में भीषण आगजनी की गई। इन घटनाओं ने पूरे देश में दहशत और तनाव का माहौल पैदा कर दिया है। गौरतलब है कि पिछले साल हुए तख्तापलट के बाद से बांग्लादेश में लगातार हिंसा बढ़ रही है, जहां खासकर मुस्लिम कट्टरपंथी अल्पसंख्यक समुदायों को अपना निशाना बना रहे हैं।
पश्चिमी राजबारी जिले में जुमे की नमाज़ के बाद हालात अचानक बिगड़ गए। कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों ने सूफी दरवेश नूरा पगला की कब्र पर हमला कर दिया। नूरा पगला का निधन करीब दो हफ्ते पहले हुआ था। हमलावरों ने उनकी कब्र खोदकर शव को बाहर निकाला और आग के हवाले कर दिया। इतना ही नहीं, उनकी दरगाह को भी तोड़फोड़ कर नुकसान पहुंचाया गया। इस घटना के बाद नूरा पगला के समर्थकों और हमलावरों के बीच हिंसक झड़प छिड़ गई, जिसमें एक शख्स की मौत हो गई और 100 से अधिक लोग घायल हो गए।
भीड़ ने पुलिस और प्रशासन की कई गाड़ियों में आग लगा दी। इस घटना में घायल हुए कम से कम 22 लोगों को नजदीकी सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इनमें से चार की हालत गंभीर होने पर उन्हें फरीदपुर के बड़े अस्पताल रेफर किया गया। बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के कार्यालय ने इस हमले की कड़ी आलोचना करते हुए इसे ‘क्रूर और निंदनीय’ बताया। साथ ही, सरकार ने आश्वासन दिया कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
ढाका के पुराना पल्टन इलाके में दूसरी बड़ी घटना सामने आई, जहां शुक्रवार शाम जातीय पार्टी (JP) के केंद्रीय दफ्तर को आग के हवाले कर दिया गया। यह पार्टी, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग की सहयोगी मानी जाती है। बताया जा रहा है कि यह हमला उस घटना के बाद हुआ, जब करीब एक हफ्ता पहले गोनो अधिकार परिषद के नेता नुरुल हक नूर पर हमला किया गया था।
नुरुल हक जुलाई विद्रोह में सक्रिय रहे थे, जिसने 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना की सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था। इससे पहले पिछले हफ्ते पुलिस और सेना ने गोनो अधिकार परिषद के समर्थकों को खदेड़ने के लिए लाठियों और बांस की छड़ों का इस्तेमाल किया था। इस कार्रवाई को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने ‘निर्दय’ बताया था।
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सरकार का कहना है कि यह हिंसा केवल नुरुल हक पर हमला नहीं, बल्कि उस लोकतांत्रिक आंदोलन पर भी प्रहार है जिसने देश को न्याय और जवाबदेही की लड़ाई में एकजुट किया था। ढाका पुलिस ने शुक्रवार की आगजनी की जिम्मेदारी गोनो अधिकार परिषद पर डाली। वहीं, परिषद के महासचिव राशिद खान ने इस आरोप से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें नहीं पता यह हमला किसने किया। हालांकि, उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जातीय पार्टी अवामी लीग की सहयोगी थी और वह “नरसंहार में शामिल” रही थी।