
भारतीय सीमा के पास बांग्लादेश का बड़ा सैन्य विस्तार, (कॉन्सेप्ट फोटो)
India Bangladesh Border Tension: बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने भारतीय सीमा के करीब लालमोनिरहाट एयरबेस का विस्तार शुरू कर दिया है। यह एयरबेस भारत के पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी और कूचबिहार जिले से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नॉर्थईस्ट पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की आपत्ति के बावजूद बांग्लादेश ने इस परियोजना को मंजूरी दे दी है।
इस विस्तार के तहत एयरबेस में नए हैंगर, जेट पार्किंग ज़ोन और रडार सिस्टम तैयार किए जा रहे हैं। बांग्लादेश की सेना का दावा है कि यह “सैन्य अड्डों के आधुनिकीकरण” की दिशा में उठाया गया कदम है। सेना प्रमुख वकर-उज जमान ने हाल ही में कहा था कि 2030 तक बांग्लादेश की सेना को नई तकनीकों और हथियारों से लैस किया जाएगा।
लालमोनिरहाट एयरबेस, बांग्लादेश का सबसे बड़ा एयरबेस माना जाता है। देश में कुल 9 एयरबेस हैं, जिनमें से अधिकांश आजादी से पहले बने थे। अब सरकार इस एयरबेस को फुल-फ्लेज्ड मॉडर्न फाइटर बेस में बदलना चाहती है।
जानकारी के अनुसार, यहां एक साथ 10 से 12 फाइटर जेट्स की पार्किंग की सुविधा तैयार की जा रही है। मौजूदा रडार सिस्टम पुराने हो चुके हैं, जिन्हें बदलने का फैसला लिया गया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश इस बेस पर चीन निर्मित JSG-400 TDR रडार सिस्टम लगाने की योजना बना रहा है। यह सिस्टम लंबी दूरी की निगरानी करने में सक्षम है और चीन की सैन्य तकनीक का हिस्सा है।
ध्यान देने वाली बात यह है कि बांग्लादेश ने इस साल जितने भी हथियार खरीदे हैं, उनमें से करीब 70 प्रतिशत चीन से खरीदे गए हैं। ऐसे में रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन, बांग्लादेश के जरिए भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र की सुरक्षा पर निगाह बनाए हुए है।
भारत ने भी इस बढ़ते खतरे को देखते हुए बंगाल और असम सीमा के पास तीन नई जगहों पर सैन्य तैनाती बढ़ाई है। यह क्षेत्र ‘चिकन नेक कॉरिडोर’ के बेहद करीब है यह वही इलाका जो पूर्वोत्तर भारत को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। किसी भी संकट या संघर्ष की स्थिति में यह कॉरिडोर भारत की सप्लाई लाइन और संचार नेटवर्क के लिए बेहद अहम है।
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उधर, चीन दौरे के दौरान बांग्लादेश के अंतरिम सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने चिकन नेक कॉरिडोर को लेकर विवादित बयान भी दिया था, जिससे भारत की चिंता और गहराई है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यूनुस सरकार की यह नीति दक्षिण एशिया में चीन की रणनीति को और मजबूत कर सकती है।






