
खालिदा जिया (सोर्स- सोशल मीडिया)
Khaleda Zia Critical Condition: बांग्लादेश की दूसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया की तबीयत बेहद गंभीर बताई जा रही है। रविवार को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और शुक्रवार को उनकी स्थिति और अधिक खराब हो गई। उनकी बिगड़ती सेहत को लेकर पार्टी कार्यकर्ता और समर्थक लगातार उनके स्वस्थ होने की दुआ कर रहे हैं।
बीएनपी के महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने मीडिया से बातचीत में बताया कि पार्टी प्रमुख की स्वास्थ्य स्थिति अत्यंत नाज़ुक है और डॉक्टर लगातार उनकी निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “आप सभी जानते हैं कि हमारी नेता बेगम खालिदा जिया गंभीर रूप से बीमार हैं और अस्पताल में उपचाराधीन हैं। बीती रात डॉक्टरों ने हमें बताया कि उनकी हालत बहुत चिंताजनक है।”
जानकारी के मुताबिक, 23 नवंबर की रात बेगम खालिदा जिया को दिल और फेफड़ों में संक्रमण पाए जाने के बाद मेडिकल बोर्ड की सलाह पर तत्काल ढाका के एक अस्पताल में भर्ती किया गया। डॉक्टरों ने बताया कि वह निमोनिया से भी पीड़ित हैं और इस समय अस्पताल के कोरोनरी केयर यूनिट (ICU) में गहन निगरानी में रखी गई हैं। स्थानीय और विदेशी विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक टीम उनकी स्थिति पर लगातार नज़र रखते हुए इलाज कर रही है।
खालिदा जिया मई 2025 में लंदन में लगभग चार महीनों तक चिकित्सा उपचार करवाने के बाद ढाका लौटी थीं। उनकी वापसी के दौरान ढाका एयरपोर्ट पर बीएनपी महासचिव ने कहा था कि खालिदा जिया का स्वदेश लौटना “देश में लोकतांत्रिक बदलाव की प्रक्रिया के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण” है।
वहीं, बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान के संभावित स्वदेश लौटने को लेकर भी चर्चाएँ तेज हो गई हैं। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों का कहना है कि उनके खिलाफ दर्ज प्रमुख मामलों में बरी होने के बाद अब कानूनी अड़चनें लगभग समाप्त हो चुकी हैं। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि वे दिसंबर के पहले सप्ताह में चुनाव कार्यक्रम घोषित होते ही देश लौट सकते हैं।
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बेगम खालिदा जिया को 29 अक्टूबर 2018 को जिया चैरिटेबल ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में 7 वर्ष कैद और 10 लाख टका जुर्माने की सजा दी गई थी। उन्हें शुरुआत में पुराने ढाका सेंट्रल जेल में रखा गया था। लेकिन 5 अगस्त को ‘छात्र-नेतृत्व वाले जन आंदोलन’ के दौरान शेख हसीना सरकार के पतन के बाद उनकी रिहाई सुनिश्चित की गई। इसके बाद अदालत ने भी उनके विरुद्ध दी गई सजाओं को निरस्त कर दिया।






