मोहम्मद यूनुस (सोर्स- सोशल मीडिया)
Bangladesh Govt- Student Leader Clash: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और छात्र संगठनों के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने पिछले साल पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले दो छात्र नेताओं को सरकार से बाहर करने का फैसला किया है। सरकार ने दोनों को उनके मंत्री पद से हटाने का निर्देश दिया है।
मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और उसकी पुरानी सहयोगी जमात-ए-इस्लामी ने स्टूडेंट नेताओं के नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) के प्रति झुकाव पर आपत्ति जताई है। एनसीपी की स्थापना हसीना विरोधी आंदोलन के नेता नाहिद इस्लाम ने की थी, जिन्होंने फरवरी में पद छोड़ दिया था। जुलाई-अगस्त के आंदोलन के बाद बनी एनसीपी का नेतृत्व मुख्य रूप से स्टूडेंट्स के हाथ में है, जिसने सरकार के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन किया था, जिसके चलते प्रधानमंत्री शेख हसीना को अगस्त 2024 में देश छोड़ना पड़ा।
बीएनपी और जमात का दावा है कि स्टूडेंट सलाहकार एनसीपी के बेहद करीबी हैं, इसलिए वे निष्पक्षता से काम नहीं कर सकते, खासकर जब यूनुस सरकार फरवरी 2025 में आम चुनाव कराने की तैयारी कर रही है। यूनुस सरकार ने दो सलाहकारों इन्फॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग सलाहकार महफूज आलम और लोकल गवर्नमेंट सलाहकार आसिफ महमूद सोजिब भुइयां को इस्तीफा देने को कहा है।
ये दोनों पहले शेख हसीना की सरकार को गिराने में अहम भूमिका निभा चुके हैं। इनके इस्तीफे से विपक्ष को ताकत मिलने की संभावना है, जिसे लेकर वे चिंतित हैं। हालांकि, दोनों सलाहकार अभी इस निर्णय पर विचार कर रहे हैं क्योंकि वे डरते हैं कि इस्तीफा देने से उनके विरोधी और मजबूत हो जाएंगे। एनसीपी के नेताओं ने यूनुस से संतुलित प्रतिनिधित्व की अपील की है।
इस बीच, यूनुस की वरिष्ठ सलाहकार सैयदा रिजवाना हसन ने विपक्ष के आरोपों को खारिज किया कि सलाहकार पद छोड़ना एक सेफ एग्जिट है। यह विवाद राजनीतिक तनाव के बीच उभर रहा है, जहां बीएनपी और जमात स्टूडेंट सलाहकारों की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं। जमात के एक नेता ने कहा कि वे यूनुस पर भरोसा करते हैं, लेकिन कुछ करीबी लोग पार्टी के पक्ष में काम कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें: अमेरिका के नाक ने नीचे 5000 रूसी मिसाइल तैनात, धमकी के बाद इस देश ने उठाया कदम, ट्रंप परेशान
यह घटना इस बात की तरफ संकेत करती है कि एनसीपी के बढ़ते प्रभाव से विपक्ष चिंतित है। वे सलाहकारों को तटस्थ नहीं बल्कि पार्टी के सहायक मानते हैं, जो फरवरी 2026 के चुनावों में यूनुस सरकार की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर सकते हैं।