
मुहम्मद यूनुस, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Bangladesh News In Hindi: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में उथल-पुथल थमने का नाम नहीं ले रही है। फरवरी 2026 में प्रस्तावित आम चुनावों से ठीक पहले एक और बड़ा इस्तीफा सामने आया है जिसने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार की स्थिरता पर सवाल और गहरे कर दिए हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुख्य सलाहकार के विशेष सहायक प्रोफेसर डॉ. मो. सैयदुर रहमान ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
राष्ट्रपति मो. साहाबुद्दीन ने मंगलवार, 30 दिसंबर को जारी कैबिनेट डिवीजन के गजट नोटिफिकेशन के जरिए डॉ. सैयदुर रहमान का इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया। डॉ. रहमान बांग्लादेश मेडिकल यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर रह चुके हैं और उन्हें नवंबर 2024 में मंत्री स्तर के दर्जे के साथ स्वास्थ्य मंत्रालय की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
बुधवार को देश के प्रमुख अखबार प्रोथोम आलो से बातचीत में सैयदुर रहमान ने पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने करीब एक महीने पहले अपना इस्तीफा सौंप दिया था जिसे अब औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि सरकारी सेवा में उनका कार्यकाल समाप्त हो चुका है।
यह इस्तीफा ऐसे समय में आया है जब यूनुस प्रशासन पहले से ही दबाव में है। इससे कुछ दिन पहले गृह मंत्रालय के मुख्य सलाहकार के विशेष सहायक खुदा बख्श चौधरी ने भी 24 दिसंबर को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। लगातार हो रहे ये इस्तीफे अंतरिम सरकार के भीतर बढ़ती असहमति और अस्थिरता की ओर इशारा कर रहे हैं।
खुदा बख्श चौधरी का इस्तीफा कट्टरपंथी संगठन ‘इंकलाब मंच’ के दबाव के बाद सामने आया था। इस मंच ने 20 दिसंबर को उन्हें और गृह मामलों के सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था। संगठन ने अपने संयोजक शरीफ उस्मान बिन हादी की हत्या के मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर सरकार से जवाब मांगा था। हादी के अंतिम संस्कार के बाद हजारों समर्थकों के ढाका के शाहबाग चौराहे पर जमा होने से हालात और तनावपूर्ण हो गए थे।
इससे पहले दिसंबर महीने में छात्र नेता माहफुज आलम और आसिफ महमूद भी चुनाव लड़ने की तैयारी के चलते अपने पदों से इस्तीफा दे चुके हैं। विशेषज्ञों और मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इन इस्तीफों के पीछे चरमपंथी दबाव, आंतरिक मतभेद और आगामी चुनावों की रणनीति जैसे कई कारण शामिल हैं।
अंतरिम सरकार पर 12 फरवरी 2026 को निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने का भारी दबाव है। वहीं अवामी लीग पर प्रतिबंध, कानून-व्यवस्था और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा जैसे मुद्दे भी लगातार विवाद का कारण बने हुए हैं। अगस्त 2024 में शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बनी यूनुस सरकार से सुधार और स्थिरता की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन लगातार हो रहे इस्तीफे इन उम्मीदों को कमजोर करते दिख रहे हैं।
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विपक्षी दल इन घटनाओं को सरकार की कमजोरी करार दे रहे हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति और चुनावी प्रक्रिया पर करीबी नजर बनाए हुए है। कुल मिलाकर, चुनाव से पहले बांग्लादेश की राजनीति एक गंभीर संकट के दौर से गुजर रही है।






