
बांग्लादेश में भड़की हिंसा, बांग्लादेश में चुनावी जंग भड़की
Bangladesh BNP Jamaat Clash: बांग्लादेश में फरवरी 2026 में होने वाले आम चुनावों की तैयारियां राजनीतिक दलों के लिए मुकाबले का मैदान बनती जा रही हैं। हालात ऐसे हैं कि चुनावी तनाव अब धार्मिक सभाओं तक पहुंच गया है। ताज़ा मामला सिराजगंज जिले के काजीपुर का है, जहां जमात-ए-इस्लामी और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के समर्थकों के बीच मारपीट हो गई। इस झड़प में जमात के लगभग 15 कार्यकर्ता घायल हो गए।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना सोमवार देर रात सोनामुखी यूनियन के स्थलबाड़ी गांव में आयोजित एक इस्लामिक सभा के दौरान हुई। कार्यक्रम में जमात समर्थक एमपी उम्मीदवार और सिराजगंज के स्थानीय नेता मौलाना शाहीनुर आलम मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे। उसी दौरान BNP के प्रत्याशी सलीम रेजा भी कार्यक्रम में मौजूद थे।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कार्यक्रम के बीच दोनों राजनीतिक उम्मीदवारों के समर्थकों के बीच अचानक तनाव बढ़ गया। हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक, सलीम रेजा ने स्थिति बिगड़ते देख अपने समर्थकों को शांत होने की अपील की और मंच छोड़ दिया। लेकिन सभा स्थल से प्रस्थान करते समय जमात के उम्मीदवार आलम पर हमला कर दिया गया।
द डेली स्टार से बातचीत में मौलाना शाहीनुर आलम ने इस हमले को BNP कार्यकर्ताओं द्वारा किया गया पूर्वनियोजित हमला बताया। उन्होंने कहा कि धार्मिक सभा के बहाने उन्हें निशाना बनाया गया। दूसरी ओर, BNP उम्मीदवार सलीम रेजा ने सभी आरोपों से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि पार्टी का इस घटना में कोई हाथ नहीं है और संघर्ष स्थानीय लोगों के बीच आपसी तनाव के कारण भड़का।
काजीपुर पुलिस स्टेशन के प्रभारी शाह इनायतुर रहमान ने बताया कि अब तक कोई लिखित शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है। उन्होंने कहा कि शिकायत मिलने पर जांच की जाएगी और उसके बाद कार्रवाई की जाएगी।
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यह पहली बार नहीं है जब बांग्लादेश में चुनावी माहौल के बीच BNP और जमात कार्यकर्ताओं के बीच हिंसा हुई हो। पिछले महीने पबना जिले में चुनावी प्रचार के दौरान दोनों दलों के समर्थकों की भिड़ंत में 25 लोग घायल हुए थे। सहापुर यूनियन के कई गांवों में हुई इस हिंसा के लिए भी दोनों दलों ने एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया था।
बांग्लादेश में इस समय मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार कार्यरत है। विश्लेषकों का कहना है कि यूनुस के सत्ता में आने के बाद से राजनीतिक अस्थिरता और विवाद और अधिक गहरा गए हैं। यही पार्टियां जो शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को सत्ता से हटाने के लिए एकजुट हुई थीं, अब आपसी संघर्ष में उलझती दिखाई दे रही हैं। 2026 के चुनाव करीब आने के साथ, बांग्लादेश में राजनीतिक हिंसा और ध्रुवीकरण बढ़ने की आशंका भी जताई जा रही है।
(IANS इनपुट के साथ)






