बांग्लादेश चुनाव, सांकेतिक तस्वीर, (सो. सोशल मीडिया)
Bangladesh Election News: बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के दौर के बाद अब देश 12 फरवरी 2026 को आम चुनाव के लिए तैयार हो रहा है। बांग्लादेश चुनाव आयोग के मुताबिक, 330 सदस्यीय संसद के लिए इस बार 12.8 करोड़ से अधिक मतदाता अपने अधिकार का इस्तेमाल करेंगे। सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी या गठबंधन को 151 सीटें हासिल करनी होंगी।
2022 की जनगणना के अनुसार, देश में हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है, जिनकी आबादी 1.31 करोड़ से अधिक है। वहीं कुल मतदाताओं में हिंदू वोटर्स की हिस्सेदारी लगभग 8% है। यह वोट बैंक कई सीटों पर जीत-हार का गणित बदलने की क्षमता रखता है। ऐसे में बांग्लादेश की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां हिंदू मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिशें तेज कर चुकी हैं।
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) इस बार हिंदू वोट बैंक को साधने के लिए आक्रामक रणनीति अपना रही है। पार्टी नेता तारिक रहमान ने हाल ही में जमात-ए-इस्लामी पर हमला बोलते हुए कहा कि जमात के कई नेता पाकिस्तान समर्थक हैं और देशहित के खिलाफ काम करते हैं।
चूंकि जमात-ए-इस्लामी पर अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और कट्टरता फैलाने के कई आरोप लगते रहे हैं, BNP इस मुद्दे को चुनाव में प्रमुख हथियार बना रही है। विश्लेषकों का कहना है कि यह रणनीति हिंदू बहुल सीटों पर BNP को लाभ दिला सकती है।
शेख हसीना के समर्थित उम्मीदवारों को इस चुनाव में निर्दलीय रूप से लड़ने की अनुमति दी गई है। माना जा रहा है कि हिंदू बहुल क्षेत्रों में उन्हें इसका सीधा फायदा मिल सकता है। हसीना सरकार के दौरान हिंदू बहुल जिलों में बुनियादी ढांचे, सड़क, बिजली और सामाजिक कल्याण से जुड़ी परियोजनाएं बाकी इलाकों की तुलना में बेहतर मानी जाती रही हैं।
हसीना सरकार के खिलाफ आंदोलन का चेहरा रहे नाहिद इस्लाम चुनावी मैदान में उतर रहे हैं, लेकिन उनके लिए राजनीतिक राह कठिन दिख रही है। उनके आलोचक कहते हैं कि उनका पूरा अभियान केवल हसीना विरोध पर केंद्रित रहा है, जिससे व्यापक जनधार बनाने में वे असफल हुए हैं। इसके अलावा, कई वोटर्स उन्हें कट्टर विपक्ष के रूप में देखते हैं। BNP और जमात जैसी मजबूत संगठनात्मक ताकत न होने के कारण भी नाहिद के लिए चुनौती बढ़ जाती है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, उनका प्रभाव सीमित इलाकों तक ही सिमट सकता है।
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हिंदू मतदाताओं की पसंद किस ओर जाएगी इसका अभी स्पष्ट संकेत नहीं है। लेकिन BNP द्वारा जमात से दूरी बनाना, हसीना गुट द्वारा विकास आधारित प्रचार और नाहिद की सीमित पकड़ यह सभी कारक हिंदू वोट बैंक पर बड़ा प्रभाव डालेंगे। आने वाले महीनों में राजनीतिक वातावरण और चुनावी वादे यह निर्धारित करेंगे कि 2026 के बांग्लादेश चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाने वाला यह वोट बैंक किस दल के पक्ष में जाता है।