बलूच हिन्दू नेता ने मुनीर को फर्जी फील्ड मार्शल करार दिया (फोटो-सोशल मीडिया)
Asim Munir Fake Field Marshal: बलूच अमेरिकन कांग्रेस के अध्यक्ष तारा चंद ने बुधवार को पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की परमाणु धमकियों की तीखी आलोचना की। उन्होंने मुनीर को “फर्जी फील्ड मार्शल” और “इंसानों का दुश्मन” करार दिया।
तारा चंद ने आरोप लगाया कि अमेरिका दौरे के दौरान आसिम मुनीर ने भारत को चेतावनी दी थी कि पाकिस्तान सिंधु नदी के जल प्रवाह को रोकने की किसी भी भारतीय कोशिश को नाकाम करेगा और ऐसे किसी भी बांध को नष्ट कर देगा जो उसके जल अधिकारों को चुनौती दे।
तारा चंद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “पाकिस्तान का फर्जी फील्ड मार्शल आसिम मुनीर, जिसने अमेरिका में भारत और विश्व को परमाणु हमले की धमकी दी, उसे शर्म आनी चाहिए। वह इस्लाम के नाम पर धार्मिक कट्टरता के जुनून में पूरी दुनिया को तबाह करने पर उतारू है।”
Pakistan’s fake Field Marshal, General Asim Munir, who has threatened in America to destroy India and the world with his nuclear bombs, should be ashamed of himself. He is the number one enemy of humanity, driven by the madness of religious extremism under the banner of Islam. He… pic.twitter.com/TRUMsY4nzx
— Dr. Tara Chand (@drtchand) August 13, 2025
उन्होंने इसे वैश्विक नेतृत्व के लिए एक चेतावनी बताते हुए मांग की कि पाकिस्तान से उसके सभी परमाणु हथियार तुरंत वापस लिए जाएं। साथ ही, उन्होंने पाकिस्तान पर आर्थिक, राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाने का भी आह्वान किया। तारा चंद ने कहा कि पाकिस्तान का नेतृत्व धार्मिक कट्टरता से प्रेरित है और उसके विनाशकारी मंसूबों पर अंकुश लगाना अब विश्व समुदाय की जिम्मेदारी है, ताकि वह वैश्विक शांति को खतरे में न डाल सके।
आसिम मुनीर ने अमेरिका के दो शहरों का दौरा किया और रविवार को बेल्जियम रवाना हो गए। यह पिछले दो महीनों में उनका अमेरिका का दूसरा दौरा था। इससे पहले, मई में तारा चंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सिंधु जल संधि को निलंबित रखने के भारत के फैसले की सराहना की थी। उन्होंने भारत सरकार से ‘आजाद बलूचिस्तान’ आंदोलन को समर्थन देने की भी अपील की थी।
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उन्होंने कहा था, “प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लाल किले से बलूचिस्तान का उल्लेख करना दुनिया भर के बलूचों के लिए नैतिक समर्थन का प्रतीक था। इससे बलूच जनता में नई आशा जगी है।”
तारा चंद ने 1948 में पाकिस्तान द्वारा बलूचिस्तान पर कब्जे के बाद से वहां जारी दमन, जबरन गायब किए जाने और हत्याओं की भी निंदा की। उन्होंने कहा कि यह इस्लामाबाद की उस रणनीति का हिस्सा है जिसके तहत बलूचिस्तान की आजादी की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है।