अब होगा आतंकियों का हिसाब, (डिजाइन फोटो)
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: आज 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ। बैसरन घाटी में घुड़सवारी कर रहे पर्यटकों के एक दल को आतंकियों ने निशाना बनाया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि हमलावरों ने पहले लोगों से उनके नाम पूछे, और जैसे ही उन्हें हिंदू पहचान का अंदेशा हुआ, उन्होंने गोलियां बरसानी शुरू कर दीं।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस हमले में करीब 27 लोगों की मौत, जबकि 12 लोगों के घायल होने का दावा किया जा रहा है। इस नृशंस वारदात की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन टीआरएफ (द रेसिस्टेंस फ्रंट) ने ली है, जो इससे पहले भी बाहरी राज्यों के नागरिकों पर हमले कर चुका है। सुरक्षाबलों ने पूरे क्षेत्र को घेर लिया है और हेलीकॉप्टर की मदद से आतंकियों की तलाश की जा रही है।
इन कायर आतंकियों ने निहत्थे पर्यटकों पर गोलीबारी की है, जो उनकी नीच मानसिकता को दर्शाता है। यह हमला अब उनके खात्में की दिशा में एक निर्णायक कदम साबित हो सकता है। हालांकि इस हमले की जिम्मेदारी ‘द रेज़िस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) ने ली है, लेकिन सब जानते हैं कि यह लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा संगठन है, जो पाकिस्तान में बैठे उनके सरगनाओं के निर्देश पर चलता है।
अगर यह सच है, तो नजरें पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर की ओर जाना स्वाभाविक है। हाल ही में दी गई उनकी उकसाने वाली तकरीर ने इस संदेह को और भी मजबूत कर दिया है कि यह हमला उन्हीं के इशारे पर करवाया गया है। यह हमला न सिर्फ आतंकियों की कायरता दिखाता है, बल्कि पाकिस्तान की बौखलाहट और उसकी नापाक साजिशों को भी उजागर करता है।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर की एक हालिया तकरीर इस्लामाबाद में हुई थी, जिसमें उन्होंने लोकतंत्र की एक झलक दिखाने की बजाय, एक निराश सैन्य अधिकारी की छवि पेश की कुछ हद तक जनरल यह्या खान की 1971 वाली स्थिति की याद दिलाती हुई। ये कार्यक्रम विदेशों में बसे पाकिस्तानियों के साथ संवाद के नाम पर आयोजित किया गया था।
जैसे यह्या खान ने पूर्वी पाकिस्तान को अल्पसंख्यक मानने से इंकार कर दिया था और कहा था कि वो तो बहुसंख्यक हैं, इसलिए अलग कैसे हो सकते हैं। लेकिन फिर जो हुआ, वो इतिहास है बांग्लादेश बना, और पाकिस्तानी हुकूमत ने वहां के बंगाली मुसलमानों पर जो अत्याचार किए, वो किसी से छुपे नहीं हैं।
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भारत के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, “अगर हम 13 लाख की भारतीय सेना से नहीं डरते, तो फिर कुछ आतंकियों से क्यों डरेंगे?” हालांकि, उनकी आवाज में हाल ही में हुए सैनिकों पर हमलों और ट्रेन हाईजैक जैसी घटनाओं का दर्द साफ झलक रहा था वो ‘झूमर’ अब झुकता हुआ नज़र आने लगा है।
इसके बाद उन्होंने कश्मीर का जिक्र किया और उसे ‘हमारी गर्दन की नस’ बताया। कहा, “हम इसे कभी नहीं भूल सकते। हमने इस मसले पर तीन जंगें लड़ी हैं”
पहलगाम हमले की टाइमिंग बहुत कुछ बयां कर रही है। क्या आपको नहीं लगता कि जो टूरिस्ट मारे गए, उनसे पहले उनका नाम पूछा गया यानी हमलावर यह तय करके निशाना बना रहे थे कि कौन हिंदू है, कौन मुसलमान। ये वही कायर मानसिकता है जो जनरल आसिम मुनीर जैसी सोच से मेल खाती है जो धर्म के नाम पर भेद करना जानते हैं।
अब हाल की घटनाओं पर नजर डालिए। तहव्वुर राणा भारत की हिरासत में है, और उससे जुड़ी पूछताछ से 26/11 हमलों की सच्चाई और उजागर होने वाली है। पाकिस्तान में आज भी साजिद मीर और जकीउर्रहमान लखवी जैसे आतंक के चेहरे खुलेआम घूम रहे हैं, और पाकिस्तानी सेना के इनसे रिश्तों पर सवाल उठ रहे हैं। जनरल मुनीर जैसे अफसर उस पूरी व्यवस्था के चेहरे हैं, जो दशकों से आतंक को शह देती आई है।
पाकिस्तान को गुमराह करने वाले उस जनरल को यह नहीं पता कि जो हमला करने आए हैं, उनकी किस्मत का फैसला हो चुका है। अगर वे चाहते हैं कि बालाकोट जैसी कार्रवाई दोबारा हो, तो भारत उसके लिए भी तैयार है।
मौजूदा जानकारी के मुताबिक, इस बड़े आतंकी हमले के बाद आतंकवादियों के सफाए के लिए एक व्यापक अभियान शुरू कर दिया गया है। भारतीय सेना की विक्टर फोर्स, स्पेशल फोर्सेस, जम्मू-कश्मीर पुलिस की स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (एसओजी), और सीआरपीएफ मिलकर इस ऑपरेशन को अंजाम दे रही हैं। सेना और पुलिस के जवान मौके पर तैनात हैं, और सैन्य अधिकारी लगातार घटनास्थल से जुड़ी सूचनाएं जुटा रहे हैं।
जैसे ही हमले की सूचना सामने आई, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिल्ली में एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें सेना और खुफिया एजेंसियों के शीर्ष अधिकारी मौजूद थे। इस बैठक में हमले के बाद की स्थिति का आकलन किया गया और सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की गई। बैठक के बाद गृहमंत्री अमित शाह तुरंत कश्मीर रवाना हो गए।
Anguished by the terror attack on tourists in Pahalgam, Jammu and Kashmir. My thoughts are with the family members of the deceased. Those involved in this dastardly act of terror will not be spared, and we will come down heavily on the perpetrators with the harshest consequences.…
— Amit Shah (@AmitShah) April 22, 2025