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नई दिल्ली : यह बात 2018 की है। जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका के सबसे शक्तिशाली राष्ट्रपति पद पर थे। उस वक्त राष्ट्रपति ट्रंप और उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई थी। राष्ट्र के नाम अपने नए साल के संबोधन में किम जोंग ने कहा कि उनके ऑफिस की टेबल पर न्यूक्लियर बटन है और पूरा संयुक्त राज्य अमेरिका न्यूक्लियर मिसाइलों के हमले के अधीन है। और राष्ट्रपति ट्रंप ने किम जोंग को अपने ही अंदाज में जवाब दिया।
उन्होंने कहा कि मेरे पास एक न्यूक्लियर बटन भी है जो किम के बटन से भी बड़ा और शक्तिशाली है। दरअसल बटन काम भी करते हैं। तो ट्रंप जिस न्यूक्लियर बटन की बात कर रहे थे , वो असल में बटन नहीं है, बल्कि काले रंग के चमड़े का ब्रीफकेस होता है।
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बता दें कि ये बैग देखने में साधारण लगता है लेकिन इसमें परमाणु युद्ध की पूरी योजना होती है। इसका मतलब ये है कि नए राष्ट्रपति के पास दुनिया को तबाह करने की ताकत है। चूंकि ट्रंप अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति बने है। इसलिए शपथ ग्रहण वाले दिन ये ब्रीफकेस उन्हें दोबारा दिया जाएगा। अमेरिका में ये परंपरा कई दशकों से चली आ रही है। अमेरिका में मिसाइल लॉन्च करने की क्रिया की शुरूआत पेंटागन वॉर रूम से होती है। हलांकि वॉर रूम में राष्ट्रपति के आदेश के बिना कुछ भी नहीं होता है। और राष्ट्रपति का आदेश भी ही तब माना जाता है जब वो मिसाइल लॉन्च ऑफिसर को अपनी खास तरह की पहचान बताते हैं और ये पहचान इसी एक प्लास्टिक कार्ड में होती है। राष्ट्रपति को बताना होता है।
पहले शुरुआत के समय में राष्ट्रपति के एक इमरजेंसी बैग या फिर ब्लैक बैग हुआ करता था । 1950 के दशक के अंत में अमेरिकी राष्ट्रपति ड्वाइट आइजनहावर और उनके सलाहकारों ने अमेरिका पर अचानक परमाणु हमले से निपटने के लिए योजनाएं विकसित कीं। बाद में राष्ट्रपति के सैन्य सलाहकार परमाणु हथियारों और हमलों के बारे में पेंटागन के साथ बातचीत करने के लिए दस्तावेजों से जुड़ी बातचीत कर पाए। इसके बाद आइजनहावर ने बैग अपने उत्तराधिकारी जॉन एफ कैनेडी को सौंप दिया। 1960 के दशक की शुरुआत में इसे फुटबॉल के नाम से जाना जाने लगा। शायद इसलिए क्योंकि कैनेडी परिवार को टच फ़ुटबॉल पसंद था।
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