बिहार चुनाव 2025 के नतीजों के बाद, दोनों प्रमुख गठबंधनों के दो प्रमुख रणनीतिकारों ‘संजय’ के प्रदर्शन की समीक्षा हो रही है। पहले हैं JDU के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, जो नीतीश कुमार के “आंख-कान” माने जाते हैं। उन्होंने सीट बंटवारे में अहम भूमिका निभाई, जहां JDU (जो 2020 में पिछड़ गई थी) ने 101 सीटों पर लड़कर लगभग 85 सीटें जीतीं। यह 2020 के प्रदर्शन से लगभग दोगुना है। संजय झा को JDU के “तारणहार” के रूप में देखा जा रहा है। दूसरे हैं RJD के राज्यसभा सांसद संजय यादव, जो तेजस्वी यादव के “सारथी” हैं। 2020 में RJD सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन इस चुनाव में वह तीसरे नंबर पर खिसक गई है। संजय यादव पर टिकट बंटवारे में पैसे लेने के आरोप लगे और अब हार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। कांग्रेस ने भी सीट बंटवारे में हुए विवाद का ठीकरा उन्हीं पर फोड़ा है।
बिहार चुनाव 2025 के नतीजों के बाद, दोनों प्रमुख गठबंधनों के दो प्रमुख रणनीतिकारों ‘संजय’ के प्रदर्शन की समीक्षा हो रही है। पहले हैं JDU के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, जो नीतीश कुमार के “आंख-कान” माने जाते हैं। उन्होंने सीट बंटवारे में अहम भूमिका निभाई, जहां JDU (जो 2020 में पिछड़ गई थी) ने 101 सीटों पर लड़कर लगभग 85 सीटें जीतीं। यह 2020 के प्रदर्शन से लगभग दोगुना है। संजय झा को JDU के “तारणहार” के रूप में देखा जा रहा है। दूसरे हैं RJD के राज्यसभा सांसद संजय यादव, जो तेजस्वी यादव के “सारथी” हैं। 2020 में RJD सबसे बड़ी पार्टी थी, लेकिन इस चुनाव में वह तीसरे नंबर पर खिसक गई है। संजय यादव पर टिकट बंटवारे में पैसे लेने के आरोप लगे और अब हार के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। कांग्रेस ने भी सीट बंटवारे में हुए विवाद का ठीकरा उन्हीं पर फोड़ा है।






