केदारनाथ धाम में 24 घंटे के लिए घोड़े खच्चर पर प्रतिबंध
रुद्रप्रयाग: चार धाम यात्रा शुरू हो चुकी है और श्रद्दालु पूरे उत्साह के साथ बाबा धाम दर्शन के लिए निकल पड़े हैं। ओम नम: शिवाय के होल्लारे लगाते हुए भक्त आगे बढ़ रहे हैं। इसमें युवाओं के साथ बड़े बुजुर्ग भी यात्रा में शामिल हैं। इस बीच प्रशासन की ओर से घोड़े और खच्चर वालों के संचालन पर फिलहाल 24 घंटे के लिए रोक लगा दी गई है। इससे बुजुर्गों और महिलाओें को थोड़ी परेशानी हो रही है। हालांकि प्रशासन ने ये निर्णय घोड़े और खच्चरों की मौतों की संख्या को देखते हुए लिया है।
केदारनाथ पैदल मार्ग पर 2 दिन में 14 घोड़े-खच्चरों की संदिग्ध हालात में मौत का मामला सामने आया है। ऐसे में प्रशासन ने उनके संचालन पर फिलहाल 24 घंटे के लिए घोड़े और खच्चर वोलों के संचालन पर रोक लगा दी गई है। घोड़े-खच्चरों की मौत की सूचना मिलने के बाद रुद्रप्रयाग पहुंचे पशुपालन सचिव डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने जिला प्रशासन के साथ पहुंचे और मामले की समीक्षा की।
चार धाम यात्रा मार्ग पर बीते रविवार को 8 और सोमवार को 6 घोड़े-खच्चरों की मौत हो गई है। डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम के मुताबिक उनकी मौत का कारण ‘एक्वाइन इन्फ्लूएंजा’ नहीं लग रहा है। प्रथम दृष्टया लग रहा है कि इनकी मौत शायद किसी बैक्टीरियल संक्रमण की वजह से हुई है। मौत के कारणों की जांच के लिए केंद्र सरकार तथा हरियाणा के हिसार से टीमें पहुंच रही हैं।
पशुपालन सचिव ने कहा कि अगर किसी घोड़े में नाक बहने जैसे लक्षण दिखाई देंगे तो उसका आरटीपीसीआर परीक्षण कराया जाएगा और उसे अलग केंद्र में रखा जाएगा। अगर उसकी रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि नहीं होती है तो ही यात्रा में इनके संचालन की अनुमति दी जाएगी। पुरुषोत्तम ने बताया कि एक माह पहले चार अप्रैल को घोड़ों में ‘एक्वाइन इन्फ्लूएंजा’ के लक्षण मिले थे जिसके बाद 30 अप्रैल तक 26 दिन में रिकॉर्ड 16 हजार घोड़ों की जांच की गई थी। इनमें से 152 घोड़े-खच्चरों के नमूनों की जांच पॉजिटिव मिली थी।
पुरुषोत्तम ने कहा कि 11,500 फुट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए करीब 16 किलोमीटर की लंबी पैदल यात्रा तय करनी पड़ती है। हालांकि चढ़ाई वाले इस रास्ते को तय करने के लिए कुछ श्रद्धालुओं को पिटठू, पालकी या घोड़े-खच्चरों का सहारा लेना पड़ता है।