धराली की पहले और बाद की सैटेलाइट तस्वीर (सोर्स: एक्स@isro)
ISRO Released Satellite Images of Dharali Cloudburst: उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले में 5 अगस्त 2025 को आयी विनाशकारी बाढ़ ने धराली और हर्षिल के गांवों को तहस-नहस कर दिया। बादल फटने की घटना के कारण आयी अचानक बाढ़ ने घर, इमारतें, पुल, सड़कें बहा दीं और कई लोगों की जान ले ली। अब राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC) और इसरो ने उपग्रह चित्रों की मदद से इस नुकसान का तेज़ी से आकलन किया है।
5 अगस्त 2025 को उत्तरकाशी में भारी बारिश के बाद धराली और हर्षिल में अचानक बाढ़ आ गई। यह बाढ़ इतनी तेज़ थी कि पलक झपकते ही कीचड़, पत्थर और मलबे के साथ बहते हुए सब कुछ तबाह हो गया। घरों के नीचे ज़मीन खिसक गई, सड़कें टूट गईं और कई लोग लापता हो गए। इस घटना ने पूरे इलाके को अलग-थलग कर दिया, जिससे राहत कार्य में मुश्किलें आईं।
राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC) और इसरो ने भारत के कार्टोसैट-2S उपग्रह की उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरों का इस्तेमाल किया। उन्होंने 7 अगस्त 2025 यानी आपदा के बाद की तस्वीरों की तुलना 13 जून 2024 आपदा से पहले की तस्वीरों से की। इस विश्लेषण से कई चौंकाने वाली बातें सामने आयी है।
Satellite Insights Aiding Rescue & Relief Ops
ISRO/NRSC used Cartosat-2S data to assess the devastating Aug 5 flash flood in Dharali & Harsil, Uttarakhand.
High-res imagery reveals submerged buildings, debris spread (~20ha), & altered river paths, vital for rescue teams on… pic.twitter.com/ZK0u50NnYF
— ISRO (@isro) August 7, 2025
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यह घटना दर्शाती है कि हिमालयी क्षेत्रों में बस्तियां और भी असुरक्षित होती जा रही हैं। वैज्ञानिक इस बाढ़ के कारणों को समझने के लिए शोध कर रहे हैं। इनमें से कौन सा कारण ज़िम्मेदार है – भारी बारिश, ग्लेशियरों का पिघलना या भू-संरचना में बदलाव – इसकी जाँच की जा रही है। जलवायु परिवर्तन और मानवीय गतिविधियां भी इसका कारण हो सकती हैं।
सैटेलाइट तस्वीरों से प्राप्त जानकारी के आधार पर, सेना और राहत दल फंसे हुए लोगों की तलाश और सड़कों को बहाल करने में जुटे हैं। लेकिन यह घटना हमें आगाह करती है कि हिमालय जैसे नाज़ुक इलाकों में सावधानी बरतनी होगी। अनियोजित निर्माण और वनों की कटाई को रोकना ज़रूरी है, ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचा जा सके।