
जमकर वायरल हो रहा मुस्लिम परिवार का ये शादी का कार्ड, फोटो- सोशल मीडिया
Viral Wedding Card Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के जौनपुर में एक मुस्लिम परिवार ने ‘बहू भोज’ (दावते वलीमा) के आमंत्रण पत्र में अपने पूर्व के हिंदू परिवार से जुड़ा उपनाम ‘दुबे’ लिखकर सुर्खियां बटोरी हैं। यह कदम पारिवारिक जड़ों, साझा परंपराओं और सामाजिक सद्भाव की मिसाल पेश करता है।
यूपी के जौनपुर जिले की केराकत तहसील के डेहरी गांव में मोहम्मद खालिद दुबे की शादी के बाद रविवार को “दावते वलीमा” का आयोजन किया गया, जिसे हिंदू परंपरा में ‘बहू भोज’ के रूप में जाना जाता है। यह आयोजन खालिद के पिता के बड़े भाई, नौशाद अहमद दुबे, द्वारा किया गया था। इस समारोह का आमंत्रण पत्र विशेष रूप से चर्चा में रहा, क्योंकि इस पर हिंदू उपनाम ‘दुबे’ का इस्तेमाल किया गया था।
आयोजकों ने बहू भोज के आमंत्रण पत्र में बाकायदा ‘दावत-ए-वलीमा’ के साथ ‘बहू भोज’ भी छपवाया। आमंत्रण कार्ड के लिफाफे पर स्पष्ट रूप से उल्लेख था कि यह ‘श्री लाल बहादुर दुबे 1669 ई। के जमींदार की 8वीं पीढ़ी के वंशज खालिद दुबे की शादी एवं बहूभोज (दावत-ए-वलीमा) के शुभ अवसर पर आप सभी सादर आमंत्रित है’। नौशाद अहमद दुबे, जो विशाल भारत संस्थान के जिला चेयरमैन भी हैं, ने बताया कि उनके पूर्वज लाल बहादुर दुबे थे और वे आजमगढ़ जिले से विस्थापित होकर जौनपुर आए थे।

दुबे उपनाम के प्रयोग के पीछे की वजह बताते हुए नौशाद अहमद दुबे ने कहा कि जब उन्होंने अपने पूर्वजों की जड़ों की तलाश की, तो पता चला कि वे आजमगढ़ में दुबे जाति से थे। उन्होंने जोर देकर कहा, “हमारे पूर्वजों ने धर्म बदला, जाति नहीं, क्योंकि जाति तो बदली नहीं जा सकती।” उन्होंने आगे कहा कि जिस चीज को बदला नहीं जा सकता, उसे वे जबरन क्यों बदलेंगे? नौशाद ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें इस उपनाम में अपनापन महसूस होता है।
सामाजिक सद्भाव की इस अनोखी मिसाल को देखने के लिए समारोह में धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों के कई विशिष्ट अतिथि शामिल हुए। इस चर्चित बहूभोज (दावत-ए-वलीमा) में पाताल पुरी पीठ के जगतगुरु बाबा बालकदास देवाचार्य महाराज और महंत जगदीश्वर दास जैसे संत मौजूद थे। इसके अलावा, भारत सरकार की उर्दू काउंसिल सदस्य नाजनीन अंसारी के साथ कई लोग मौजूद रहे।
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नौशाद ने यह भी जानकारी दी कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय पदाधिकारी कृष्ण गोपाल और इंद्रेश कुमार ने फोन करके उन्हें बहू भोज पर अपनी बधाई दी। यह प्रयास समाज में साझा परंपराओं और पारिवारिक जड़ों के प्रति सम्मान की भावना को मजबूत करता है।






