कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
लखनऊ: प्रदेश में 9 विधानसभा सीटों पर होने जा रही उपचुनाव को लेकर सियासी माहौल गरमाया हुआ है। एक तरफ सपा और कांग्रेस के बीच समीकरण फिट नहीं बैठ रहे हैं तो दूसरी तरफ एनडीए में भी फूट के आसार दिखाई दे रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि दीवाली से पहले, यानी बीजेपी उम्मीदवारों की लिस्ट आते ही एनडीए में बम फूटने वाला है। क्या है पूरा माजरा आइए जानते हैं।
उत्तर प्रदेश में 9 सीटों पर हो रहे उपचुनाव हो रहे हैं सपा ने 7 सीटों पर उम्मीदवार भी उतार दिए हैं। जिसमें से एक मिल्कीपुर सीट है जहां पर अभी चुनाव की घोषणा नहीं हुई है। बाकी बची तीन सीटों को लेकर सपा-कांग्रेस में बातचीत तो चल रही है लेकि सूत्रों के हवाले से खबर है कि अंतर्विरोध टालने के लिए कांग्रेस उपचुनाव नहीं लड़ने जा रही है।
यह भी पढ़ें:- यूपी उपचुनाव में किस सीट पर किसके फेवर में होंगे जातीय समीकरण? जानिए कहां किसका पलड़ा होगा भारी?
दूसरी तरफ बीजेपी ने भी फार्मूला तय कर लिया है। लेकिन उम्मीदवारों का ऐलान नहीं कर रही है। इसके पीछे सहयोगी दलों के नाराज होने की वजह बताई जा रही है। आज यानी मंगलवार को भी यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और संगठन महामंत्री धरमपाल सिंह के साथ यूपी के दोनों डिप्टी सीएम बृजेश पाठक और केशव प्रसाद मौर्य को दिल्ली तलब किया गया है।
दरअसल, पिछली बैठक में भाजपा ने 9 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया। वहीं, मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट उसने रालोद को दी। जिसके बाद दो सीटों पर दावा ठोंक रहे निषाद पार्टी के मुखिया संजय निषाद नाराज हो गए। सूत्रों की मानें तो संजय निषाद कटेहरी और मझवां सीट की मांग कर रहे थे। जबकि अब उनका कहना है कि वह कटेहरी सीट छोड़ने को राजी हैं लेकिन मझवां सीट पर प्रत्याशी उनके सिंबल का होना चाहिए।
यह भी पढ़ें:- सपा ने कांग्रेस से उत्तर प्रदेश में लिया हरियाणा का बदला, उपचुनाव से पहले टूट गया इंडिया गठबंधन?
मझवां सीट पर 2022 में निषाद पार्टी के कैंडीडेट ने बीजेपी के सिंबल पर जीत दर्ज की थी। जबकि कटेहरी सीट पर सपा प्रत्याशी लालजी वर्मा को जनादेश मिला था। जिनके सांसद बन जाने के बाद यह सीट खाली हुई है। संजय निषाद इन मांगों को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने रखने के लिए दिल्ली दरबार के चक्कर काट रहे हैं।
वहीं, यूपी की राजनीति में ‘चचा’ के नाम से मशहूर हो चुके सुभासपा मुखिया ओमप्रकाश राजभर भी उपचुनाव में खाली हाथ रह गए। इसके अलावा सूत्रों की ख़बर यह भी थी कि फूलपुर सीट पर एनडीए की सहयोगी अपना दल भी चुनाव लड़ने के लिए लालयित थी लेकिन बात नहीं बनी।
उपरोक्त वजहों के लेकर यह कहा जा रहा है कि बीजेपी उम्मीदवारों की लिस्ट आते ही बड़ा धमाका हो सकता है। क्या मालूम धमाके की धमक से गठबंधन की गांठ भी ढीली हो जाए। फिलहाल दिल्ली में बीजेपी आलाकमान की यूपी के नेताओं के साथ बैठक जारी है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इन गतिरोधों को दूर करने के लिए पार्टी क्या कुछ करती है।