कुलदीप सेंगर, फोटो- सोशल मीडिया
CBI Moves SC for Unnao Rape Case: उन्नाव दुष्कर्म मामले में पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को मिली न्यायिक राहत के खिलाफ अब सीबीआई ने मोर्चा खोल दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा सेंगर की आजीवन कारावास की सजा निलंबित करने के फैसले के बाद, जांच एजेंसी जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर करेगी।
सीबीआई के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया है कि जांच एजेंसी दिल्ली हाई कोर्ट के आदेशों का विस्तृत अध्ययन करने के बाद जल्द से जल्द शीर्ष अदालत का रुख करेगी। सीबीआई का मानना है कि सेंगर को मिली सजा का निलंबन न्यायोचित नहीं है। हालांकि, हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद कुलदीप सेंगर फिलहाल जेल की सलाखों के पीछे ही रहेगा। इसका मुख्य कारण यह है कि वह दुष्कर्म पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले में पहले ही सुनाई गई 10 साल की सजा काट रहा है।
सेंगर को जमानत मिलने की खबर से आक्रोशित और डरा हुआ पीड़ित परिवार बुधवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से मिलने पहुंचा। इस महत्वपूर्ण मुलाकात के दौरान कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी भी उपस्थित रहीं। परिवार ने न्याय की गुहार लगाते हुए अपनी जान के खतरे का जिक्र किया। सूत्रों के अनुसार, पीड़िता के परिवार ने राहुल गांधी से तीन मुख्य अनुरोध किए: सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई के लिए एक शीर्ष वकील की व्यवस्था, सुरक्षा के लिहाज से किसी कांग्रेस शासित राज्य में रहने का प्रबंध और पीड़िता के पति के लिए एक बेहतर नौकरी। राहुल गांधी ने इन सभी मांगों पर सहयोग का पूर्ण आश्वासन दिया है।
राहुल गांधी ने इस पूरे प्रकरण पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ के जरिए अपनी गहरी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने पीड़िता के परिवार को इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन से रोके जाने की तीखी आलोचना की। राहुल ने लिखा कि अपराधियों को जमानत मिलना और पीड़ितों के साथ मुजरिमों जैसा व्यवहार करना बेहद अमानवीय है। उन्होंने इसे लोकतंत्र में आवाज दबाने का अपराध बताते हुए चेतावनी दी कि ऐसी घटनाओं से हम एक ‘मृत समाज’ की ओर बढ़ रहे हैं।
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पीड़िता और उसकी मां ने दिल्ली के मंडी हाउस और इंडिया गेट पर प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षा बलों ने उन्हें हिरासत में ले लिया और कुछ घंटों बाद रिहा किया। पीड़िता ने इस मामले में प्रधानमंत्री से भी मिलने का समय मांगा है। रोते हुए पीड़िता की मां ने कहा कि हाई कोर्ट का यह फैसला उनके बच्चों की जान के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है और इसे किसी भी सूरत में न्याय नहीं कहा जा सकता।