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अखिलेश ने कुल्हाड़ी पर मारा पैर? पूजा की बर्खास्तगी करेगी सपा का बुरा हाल, UP में आएगा सियासी भूचाल!

Akhilesh Yadav: अखिलेश यादव ने पूजा पाल को पार्टी से बाहर कर दिया। जिसके बाद कहा जा रहा है कि सपा को इसका नुकसान हो। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या उन्होंने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है?

  • By अभिषेक सिंह
Updated On: Aug 17, 2025 | 07:50 PM

अखिलेश यादव व पूजा पाल (डिजाइन फोटो)

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UP Politics: राजनीति में रणनीति सबसे अव्वल होती है। लेकिन समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश द्वारा पार्टी विधायक पूजा पाल को बर्खास्त करना उनकी रणनीतिक चूक की तरफ इशारा कर रहा है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि सपा ने यह फैसला गलत समय पर ले लिया है।

सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने पूजा पाल के इस बयान को अनुशासनहीनता ठहराकर उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया। समाजवादी पार्टी का यह कदम उसकी पुरानी छवि को फिर से लाइम लाइट में ला सकता है, और गर ऐसा होता है तो सवाल यह भी उठता है कि क्या अखिलेश यादव ने अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है?

प्रदेश में साल 2027 में विधानसभा चुनाव होने हैं। हाल ही में हुए उपचुनावों में सपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है। इसके बावजूद पूजा पाल जैसे चेहरे को बाहर का रास्ता दिखाना पार्टी को और कमजोर कर सकता है। पूजा पाल न सिर्फ महिला हैं, बल्कि पिछड़े वर्ग से भी आती हैं और माफिया विरोधी संघर्ष की प्रतीक हैं।

सपा को होगा ‘ट्रिपल’ नुकसान!

सियासी जानकारों का मानना है कि पूजा पाल के निष्कासन से सपा की छवि को तीन स्तरों पर नुकसान पहुंच सकता है: पहला, महिला विरोधी छवि, दूसरा, गैर-यादव पिछड़े वर्गों की अनदेखी और तीसरा, अपराधियों और माफियाओं के प्रति नरम रवैया। ये तीनों मुद्दे विरोधी दलों खासकर भाजपा के लिए मजबूत राजनीतिक हथियार बन सकते हैं।

उजागर होगी महिला विरोधी छवि!

लोग यह भी मानते हैं कि सपा का इतिहास महिलाओं के प्रति असंवेदनशीलता की घटनाओं से भरा पड़ा है। गेस्ट हाउस कांड से लेकर अपने शासनकाल में महिलाओं पर हुए अत्याचारों तक, पार्टी की छवि हमेशा से महिला विरोधी रही है। पूजा पाल का निष्कासन इस छवि को और मजबूत करता है।

विधायक पूजा पाल (सोर्स- सोशल मीडिया)

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि आज जब राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है, तब एक विधवा और माफिया पीड़ित महिला विधायक को सिर्फ़ इसलिए पार्टी से निकाल देना क्योंकि उन्होंने सत्ताधारी दल की तारीफ की थी, महिलाओं की आवाज़ दबाने जैसा है। इस कदम से महिलाओं के बीच सपा की स्वीकार्यता ज़रूर कम होगी।

कमजोर होगा ‘पीडीए’ समीकरण!

अखिलेश यादव अक्सर पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की बात करते हैं, लेकिन सपा का ध्यान हमेशा से यादव और मुस्लिम वोट बैंक पर रहा है। पूजा पाल पाल समाज से आती हैं, जो ओबीसी का एक अहम हिस्सा है और यादवों की तरह पशुपालक समाज से जुड़ा है।

पूजा पाल को पार्टी से निकालने से न सिर्फ पाल समुदाय में, बल्कि अन्य गैर-यादव पिछड़े वर्गों में भी असंतोष पैदा होगा। भाजपा पहले से ही इन वर्गों में अपनी पैठ बढ़ा रही है। ऐसे में यह फ़ैसला सपा के पीडीए यानी ‘पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक’ के समीकरण को कमजोर कर सकता है।

सीएम योगी आदित्यनाथ व पूजा पाल (सोर्स- सोशल मीडिया)

पूजा पाल के निष्कासन से सपा पर लगे इस पुराने आरोप को फिर बल मिलता है कि यह पार्टी अपराधियों, माफियाओं और बाहुबलियों की शरणस्थली रही है। राजू पाल की हत्या में माफिया अतीक अहमद का नाम आया था, लेकिन सपा ने पीड़ित परिवार के लिए कभी आक्रामक रुख नहीं दिखाया।

यह भी पढ़ें: ‘पूजा पाल उस PDA की पीड़ित महिला है जिसने…’, सपा MLA को पूजा ने दिया करारा जवाब, अब होगी असली जंग!

माफिया मुख्तार अंसारी की मौत के बाद अखिलेश द्वारा उनकी कब्र पर जाकर उनकी छवि और गहरी कर दी। अब जब पूजा पाल ने योगी सरकार की अपराध-विरोधी नीतियों की तारीफ की, तो उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। इससे साफ संदेश जाता है कि सपा का अपराधियों के प्रति नरम रुख है। यह छवि 2027 के चुनाव में सपा के लिए भारी पड़ सकती है।

सियासी हलकों में बढ़ी सरगर्मी!

निष्कासन के बाद पूजा पाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की है। चर्चा है कि उन्हें मंत्री पद भी मिल सकता है। अगर ऐसा होता है, तो यह भाजपा के लिए एक बड़ा राजनीतिक लाभ होगा। भाजपा इसे ‘महिला सशक्तिकरण’, ‘ओबीसी सम्मान’ और ‘माफिया विरोधी’ रणनीति के तौर पर पेश कर सकती है। इस रणनीति का पूर्वांचल और ओबीसी वोट बैंक पर गहरा असर पड़ सकता है।

Samajwadi party trouble after pooja pal dismissal akhilesh mistake up politics

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Published On: Aug 17, 2025 | 07:46 PM

Topics:  

  • Akhilesh Yadav
  • BJP
  • Samajwadi Party
  • UP Politics

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