साध्वी निरंजन ज्योति से मिले जेपी नड्डा (सोर्स- सोशल मीडिया)
UP BJP President: उत्तर प्रदेश के फतेहपुर से पूर्व सांसद और बीजेपी की नेता साध्वी निरंजन ज्योति ने गुरुवार को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। इस मुलाकात की तस्वीर उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर साझा की है। इसके बाद सियासी हलकों में चर्चा तेज हो गई है कि अगले दो से तीन दिनों में उत्तर प्रदेश के नए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान किया जा सकता है।
बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए कई नामों की चर्चा हो रही है, जिनमें केशव प्रसाद मौर्य, धर्मपाल सिंह, बाबूराम निषाद, रामशंकर कठेरिया, दिनेश शर्मा और स्वतंत्र देव सिंह शामिल हैं। लेकिन, सबसे ज्यादा ध्यान साध्वी निरंजन ज्योति पर है। वे अति पिछड़े निषाद मल्लाह समाज से आती हैं और मोदी सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं। इसी कारण उनकी मुलाकात के बाद उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने की अटकलें तेज हो गई हैं।
भाजपा के यशस्वी राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय @JPNadda जी से शिष्टाचार भेंट के दौरान बिहार विधानसभा में प्राप्त प्रचंड विजयश्री की शुभकामनाएँ दी। pic.twitter.com/Im61Ypr8P1 — Sadhvi Niranjan Jyoti (@SadhviNiranjan) December 4, 2025
साध्वी निरंजन ज्योति ने इस मुलाकात के बारे में सोशल मीडिया पर लिखा, भाजपा के यशस्वी राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय जेपी नड्डा जी से शिष्टाचार भेंट के दौरान बिहार विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी जीत की शुभकामनाएं दी। हाल ही में उन्हें बिहार चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य के साथ सह-पर्यवेक्षक बनाया गया था, जिससे उनकी राजनीतिक अहमियत और बढ़ गई है।
साध्वी निरंजन ज्योति का राजनीतिक सफर संघर्षों से भरा रहा है। वह उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले से बीजेपी की सांसद हैं और अति पिछड़े निषाद मल्लाह समाज से आती हैं। उन्होंने राजनीति में अपनी पहचान बनाई और मोदी सरकार में मंत्री भी रही हैं। अपनी कड़ी मेहनत और संगठन के प्रति समर्पण के कारण वे पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं। उनके नेतृत्व में पार्टी ने कई चुनावों में सफलता हासिल की है, और उनकी कड़ी मेहनत को सियासी हलकों में सराहा जाता है।
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उत्तर प्रदेश में 2027 विधानसभा चुनाव को देखते हुए यूपी बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की भूमिका चुनौतीपूर्ण हो सकती है। नए अध्यक्ष को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के बीच सत्ता संघर्ष को संतुलित करना होगा। हालांकि पार्टी में बाहरी तौर पर कोई राजनीतिक विवाद नहीं दिखता, लेकिन अंदरखाने यह तनाव कई बार सामने आ चुका है। इसके अलावा, 2024 के लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर मिली हार से उबरना भी नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए बड़ी चुनौती होगी।