राकेश टिकैत (फोटो-सोशल मीडिया)
UP News: किसान नेता राकेश टिकैत ने पूर्वी उत्तर प्रदेश का रुख कर किसान संगठन में जान फूंक रहे हैं। प्रयागराज के पत्थर गिरिजाघर धरना स्थल पर बुधवार को भाकियू ने अन्नदाता हुंकार महापंचायत का आयोजन किया। इस महापंचायत में यूपी के अवध रीजन के कई जिलों के किसान शामिल हुए। वहीं इस महापंचयत में प्रमुख रूप से किसान नेता राकेश टिकैत मौजूद रहे। इस दौरान उन्होंने किसानों की उपेक्षा को लेकर भाजपा सरकार को जमकर घेरा। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि समस्याओं का समधान नहीं हुआ तो आंदोलन करेंगे।
टिकैत ने अपने संबोधन में एमसएमपी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि आज किसानों को अपनी उपज का सही दाम नहीं मिल पा रहा है। सरकार एमएसपी गारंटी कानून बनाने से कतरा रही है, जिससे किसानों का बिचौलियों के हाथों शोषण हो रहा है। इतना ही नहीं सरकार को घेरते हुए कहा कि ये सरकार बड़ी-बड़ी कंपनियों के हित में भूमि अधिग्रहण कर रही है और मुआवजे के नाम धोखा दे रही है।
राकेश टिकैत की प्रयागराज में महापंचायत कई मामलों में अहम है। क्योंकि इससे पहले किसान नेता ने यूपी पूर्व ADJ प्रशांत कुमार से मुलाकात की थी। जो सीएम योगी आदित्यनाथ के करीबी माने जाते हैं। इसके अलावा बुधवार को ब्रजेश पाठक से मुलाकात की। इस मुलाकात को टिकैत और डिप्टी सीएम पाठक की तरफ से शिष्टाचार भेंट बताई गई। वहीं पिछले दिनों टिकैत मायावती की तारीफ भी करते नजर आए थे। एक किसान नेता की सियासी मुलाकातें और तरीफ कई सवाल खड़े करती है। ऐसे में प्रयागराज में किसान संगठन की मीटिंग में सरकार की आलोचना और आंदोलन की चेतावनी के कई मायने निकाले जा रहे हैं।
क्रोनोलॉजी संकेत देती है कि 2027 चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ टिकैत एक बड़ा आंदोलन कर सकते हैं। क्योंकि उन्होंने सियासत से संन्यास का ऐलान कर दिया है। राकेश टिकैत एक बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन किसान आंदोलन के बाद उनसे कई बार चुनाव लड़ने को लेकर सवाल पूछे गए। उन्हों हर मौके पर कहा है कि वह चुनाव अब नहीं लड़ेंगे।
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1. एमएसपी गारंटी कानून की मांग करते हुए टिकैत ने कहा कि इससे किसान अपनी उपज उचित दर पर बेच सकते हैं।
2. इसके अलावा भूमि अधिग्रहण में पारदर्शिता और मुआवजा बढ़ाने की मांग की है। टिकैत ने कहा कि सरकार 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के तहत मुआवजा तो दे रही है, लेकिन वह दरें आज के बाजार मूल्य से काफी कम हैं
3. राज्य में बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण का भी किसान नेता ने विरोध किया। उन्होंने आगरा का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां किसानों की स्थिति खराब है। महंगी दरों पर बिजली किसानी के लिए घाटे का सौदा बन गई है।
4. किसानों के लिए समय पर खाद और बीज की उपल्बधता की मांग की। राकेश टिकैत ने कहा कि सीजन में किसानों को यूरिया, डीएपी और बीज के परेशानी का सामना करना पड़ता है।
5. इसके अलावा योगी सरकार द्वारा बेसिक स्कूलों के मर्जर का भी उन्होंने विरोध किया।