अयोध्या, मथुरा, काशी गायब! मिल्कीपुर में शुरू हुई पासी पॉलिटिक्स, किसे होगा फायदा?
नवभारत डेस्क: फैजाबाद लोकसभा सीट की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर 5 फरवरी को उपचुनाव होने जा रहे हैं। जहां भाजपा ने लोकसभा चुनाव परिणाम से सबक लेते हुए अपने राम, रोटी और राष्ट्रवाद के एजेंडे को बदला है और अब उसने मिल्कीपुर उपचुनाव में दावेदारी ठोक रहे पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा का टिकट काट चंद्रभानु पासवान को मैदान में उतारकर ‘न अयोध्या, मथुरा, काशी, बस पासी की काट पासी’ अर्थात जातीय समीकरण पर फोकस किया है। फिलहाल सियासी हलकों में यह सवाल भी काफी अह्म हो चला है।
मिल्कीपुर में दलित मतदाताओं जिनमें पासी समाज की संख्या सर्वाधिक है और यही मिल्कीपुर विधानसभा सीट के निर्णायक माने जाते रहे हैं।
मिल्कीपुर विधानसभा की जातीय आंकड़ों के अनुसार यहां करीब साढ़े 3 लाख मतदाताओं में सबसे ज्यादा 55,000 पासी समाज के और 1.2 लाख अन्य दलित हैं, जबकि 55,000 यादव, 60,000 ब्राह्मण, 30,000 मुस्लिम, 25,000 क्षत्रिय, 50000 अन्य पिछड़ी जाति के हैं।
बीजेपी प्रत्याशी चंद्रभानु भी पिछले 2 साल से युवाओं के बीच सक्रिय हैं और इनका युवाओं के बीच अच्छा प्रभाव बताया जा रहा है। दूसरी ओर सपा पहले ही अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को प्रत्याशी घोषित कर चुकी है। यहां पर 17 जनवरी से नामांकन शुरू होगा और 5 फरवरी को वोटिंग व 8 फरवरी को नतीजे आएंगे।
लोकसभा चुनाव में मिला हार के बाद भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हो चुकी इस विधानसभा सीट पर उसके सामने कई चुनौतियां हैं। जानकारों की मानें तो इस चुनाव में भाजपा को पिछले चुनाव की है तरह संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने जैसे विपक्ष के मुद्दे पर फोकस करना होगा।
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गौरतलब है कि 2024 लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने भाजपा को बड़ा झटका दिया था। मिल्कीपुर सीट से विधायक रहे अवधेश प्रसाद ने भाजपा को अयोध्या में हरा दिया, जबकि राम मंदिर निर्माण और भव्य उद्घाटन समारोह के बाद हो रहा था। ऐसे में उस हार का बदला लेने की पूरी तैयारी भाजपा की है। इसलिए मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर योगी आदित्यनाथ स्वयं मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
वहीं दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी अयोध्या में जीत तमगा अपने पास ही रखना चाहेगी। इसीलिए मिल्कीपुर सीट पर ज्यादा छेड़छाड़ न करते हुए अखिलेश यादव ने सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे को ही टिकट दिया है। इसके पीछे की वजह है कि मिल्कीपुर सीट सुरक्षित है, यानी पिछड़ी जातियां निर्णायक हैं। अवधेश बेटे के लिए रणनीति बना रहे हैं। वह खुद मॉनिटरिंग कर रहे हैं। अवधेश प्रसाद 2012 और 2022 के विधानसभा चुनाव में इसी सीट से विधायक रहे हैं। उनकी अपने जाति में अच्छी पकड़ मानी जाती है।