डीजीपी प्रशांत कुमार और सीएम योगी (फोटो- नवभारत डिजाइन)
लखनऊः योगी सरकार में यूपी को स्थायी पुलिस का मुखिया पिछले 3 साल से नहीं मिल पा रहा है। इसके अलावा कई ऐसे अन्य अहम पद हैं, जिनपर स्थायी तैनाती नहीं हो पा रही है। सरकार को कुछ अफसरों की काबिलियत पर शक है तो कुछ पर भरोसा नहीं है। यही वजह है कि कुछ पुलिस अधिकारियों पर काम का एक्स्ट्रा भार है। यूपी पुलिस 3 साल से कार्यवाहक मुखिया के भरोसे चल रही है।
इंटेलिजेंस के आखिरी डीजी व पूर्व कार्यवाहक डीजीपी देवेंद्र सिंह चौहान 2023 में ही रिटायर हो चुके हैं। यह पद लंबे समय से किसी के पास नहीं है। इंटेलिजेंस को अभी तक स्थायी डीजी का इंतजार है। अब देखना होगा सीएम योगी किस पर भरोसा जताते हैं।
इन पर अतिरिक्त प्रशासनिक भार
सीएम योगी के विश्वसनीय अफसरों में से एक मौजूदा डीजीपी प्रशांत कुमार पर भी अतिरिक्त भार है। वह वर्तमान में आर्थिक अपराध शाखा की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं। राजीव कृष्णा के पास भर्ती बोर्ड और विजिलेंस दोनों है। इनके अलावा दिपेश जुनेजा अभियोजन और सीआईडी दोनों यूनिट देख रहे हैं। इसी तरह नीरा रावत के पास एडीजी यूपी- 112 के साथ एडीजी प्रशासन की भी जिम्मेदारी है। एडीजी कानून व्यवस्था अमिताभ यश के पास एसटीएफ की भी जिम्मेदारी है।
एक आईजी का संभाल रहे तीन-तीन एडीजी
लखनऊ रेंज में तैना प्रशांत कुमार द्वितीय को आईजजी से एडीजी पद पर प्रमोशन मिले 4 महीने हो गए, लेकिन अभी वो आईजी रेंज की कुर्सी संभाल रहे हैं। खास बात ये हैं कि पहले पूरे जोन में एक आईजी रैंक का अधिकारी होता था, जिसमें कमिश्नरेट भी शामिल था। अब उसी व्यवस्था को संभालने के लिए तीन-तीन एडीजी रैंक के अफसर लगे हुए हैं।
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इन अफसरों को नहीं मिल रही तैनाती
महाकुंभ मेले में तैनात रहे डीआईजी वैभव कृष्ण को नई जिम्मेदारी दी जानी है। मुजफ्फरनगर के एसपी अभिशेक को भी नई तैनाती का इंतजार है। प्रयागराज में ही तैनात अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अजय पाल शर्मा भी प्रयागराज से निकलना चाहते हैं।
जहां तक रेंज का सवाल है, तो लखनऊ के अलावा इसी महीने बरेली रेंज भी खाली हो रही है। यहां के आईजी डॉ. राकेश सिंह 30 अप्रैल को रिटायर हो रहे हैं। उनकी जगह पर नई तैनाती होनी है। मुरादाबाद और सहारनपुर में भी लंबे समय से बदलाव का इंतजार किया जा रहा है।