अब्दुल्ला रेजीडेंसी (सोर्स- सोशल मीडिया)
Abdullah Residency: महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई की ‘हलाल टाउनशिप’ की तर्ज पर यूपी के मेरठ जिले में बन रही अब्दुल्ला रेजीडेंसी भी विवादों में आ गई है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के पास बन रही इस रेजीडेंसी में हिंदुओं की एंट्री बैन है। यहां हिंदुओं को प्लॉट बेचने की पर रोक है। धर्म के आधार पर भेदभाव के इस मामले के तूल पकड़ने के बाद मेरठ के डीएम ने एससी आवास विकास और सदर एसडीएम को जांच के आदेश दिए हैं।
इसके साथ ही ऊर्जा मंत्री सोमेंद्र तोमर ने अब्दुल्ला रेजीडेंसी की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए थे। उन्होंने मेरठ के डीएम को पत्र लिखकर कॉलोनी के नक्शे और भूमि निर्माण की जांच के आदेश भी दिए थे। जिसके बाद डीएम ने अनुसूचित जाति आवास विकास और उप-जिलाधिकारी सदर को मेरठ की ‘हलाल टाउनशिप’ अब्दुल्ला रेजीडेंसी की जांच के आदेश दिए हैं। अधिकारियों को एक हफ्ते के अंदर रिपोर्ट सौंपनी होगी।
आदेश मिलते ही जांच दल मौके पर पहुंचा और इलाके के हालात का जायजा लिया। जांच में हिस्ट्रीशीटर सारिक की भूमिका की भी जांच में शामिल है। ऊर्जा मंत्री सोमेंद्र तोमर ने चेतावनी दी कि अगर जांच में कोई अनियमितता या धार्मिक भेदभाव पाया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी और बुलडोजर चलाने से भी परहेज नहीं किया जाएगा।
मेरठ की दक्षिण विधानसभा में हापुड़ रोड पर पिछले 10 सालों से अब्दुल्ला रेजीडेंसी का विकास हो रहा है। लेकिन अब इस कॉलोनी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। वजह साफ है कि रेजीडेंसी में सिर्फ एक खास धर्म के लोगों को ही संपत्ति खरीदने की सुविधा है। हाल ही में रेजीडेंसी में एक मस्जिद भी बनाई गई है।
इसके अलावा, जिस ज़मीन पर यह कॉलोनी विकसित की जा रही है, वह एक गैंगस्टर के परिवार की है। इस कॉलोनी का नाम ‘अब्दुल्ला रेजीडेंसी’ इसलिए रखा गया है क्योंकि यह एक गैंगस्टर के बेटे का नाम है। जांच में हिस्ट्रीशीटर सारिक की भूमिका की भी जांच शामिल है।
आपको बता दें कि इससे पहले मुंबई में सिर्फ मुसलमानों के लिए एक विशेष टाउनशिप परियोजना को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। परियोजना के विज्ञापन में कहा गया था कि हिंदुओं को हलाल अपार्टमेंट में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। हालांकि, विवाद के बाद इस विज्ञापन को वापस ले लिया गया था।
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भाजपा प्रवक्ता अजीत चव्हाण ने इसे ‘ग़ज़वा-ए-हिंद’ की साज़िश करार देते हुए कहा कि महाराष्ट्र और मुंबई में ऐसी योजनाओं को किसी भी हालत में कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने इसे संविधान के विरुद्ध बताया और कड़ी कार्रवाई की मांग की। वहीं, कई नेताओं ने इसे ‘हाउसिंग जिहाद’ करार दिया था।