फाइल फोटो: इलाहबाद हाई कोर्ट [स्रोत: सोशल मीडिया]
लखनऊ। बहराइच हिंसा के आरोपियों द्वारा किये गए अवैध कब्ज़ो को हटाने के लिए जारी किये गए नोटिस अब उत्तर प्रदेश सरकार के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहे है। दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने बहराइच अतिक्रमण ध्वस्तीकरण नोटिस के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार से मामले की पूरी जानकारी मांगी है।
अपनी टिपण्णी में अदालत ने सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा था कि बहराइच की जिस सड़क के किनारे बसे लोगों को नोटिस दिए गए है, उस सड़क की श्रेणी व उस पर लागू होने वाले नियम बताए जाएं। लेकिन पिछली सुनवाई की तरह इस बार भी केवल याचिका की पोषणीयता पर जवाब दिया जा रहा है।
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अब इस मामले में विस्तृत जवाब पेश करने को कहते हुए कोर्ट ने सुनवाई को चार नवंबर तक टाल दिया है। बताया जा रहा है कि यह आदेश जस्टिस एआर मसूदी व जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स की जनहित याचिका पर पारित किया है।
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हाई कोर्ट की सख्ती के बाद अब उत्तर प्रदेश सरकार को अपना जवाब पेश करना है तथा कोर्ट के अनुसार मामले का पूरा ब्यौरा देना है। अतिक्रमणकारियों को जारी किये गए नोटिस अब सरकार के लिए सिर दर्द बनते नजर आ रहे है, हालांकि लोक निर्माण विभाग द्वारा दिए गए नोटिस पुख्ता जांच-पड़ताल के बाद ही जारी किये जाते है। अब देखना यह होगा की आगे इस मामले में क्या होता है।
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बता दें कि उत्तर प्रदेश के बहराइच में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के लिए निकल रहे चल समारोह के दौरान डीजे बजाने की बात पर विवाद हो गया। मामला इतना बढ़ा की एक युवक रामगोपाल मिश्रा पर बन्दुक से ताबड़तोड़ गोलियां चलाई गई, इस घटना में रामगोपाल की मौत हो गई। जिसके बाद यह मामला एक भयानक हिंसा में बदल गया और पुरे इलाके में भारी फाॅर्स तैनात कर दिया गया।