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लखनऊ: लोकसभा चुनाव में ख़राब प्रदर्शन के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी उपचुनाव की जमीन तैयार करने में जुट गए हैं। साथ ही मंत्रियों की फौज भी विजयश्री को खोज निकालने के लिए जुटी हुई है। जिलों के जनप्रतिनिधियों से मुलाकात करने के बाद अब उन्होंने जिलों का दौरा करना शुरू कर दिया है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सीएम विकास, संवाद और एकजुटता के जरिए उपचुनाव साधने की कोशिश में जुट गए हैं। उन्होंने जिलों में रोजगार मेलों को युवाओं को आकर्षित करने का जरिया बनाया है।
अब तक 17 अगस्त को अंबेडकरनगर, 18 अगस्त को अयोध्या और 22 अगस्त को मुजफ्फरनगर में रोजगार मेले आयोजित किए गए, जिनके जरिए 17 हजार से अधिक नियुक्ति पत्र बांटे गए। विभाग के मुताबिक अयोध्या और अंबेडकरनगर में जहां 12 हजार से अधिक नियुक्ति पत्र बांटे गए, वहीं मुजफ्फरनगर में 15 हजार से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए हैं। जबकि 5 हजार से अधिक नियुक्ति पत्र बांटे जा चुके हैं। राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने कहा कि उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के तहत प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रशिक्षुओं को रोजगार से जोड़ने के लिए राज्य सरकार विभिन्न गतिविधियां आयोजित करती है।
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अंबेडकर नगर में जिला स्तरीय रोजगार मेले के तहत सीएम योगी ने 6572 युवाओं को नियुक्ति पत्र बांटे, जबकि अयोध्या में आयोजित रोजगार मेले में 5574 लोगों को नियुक्ति पत्र सौंपे गए। इसी तरह मुजफ्फरनगर में भी 5 हजार युवाओं को मौके पर ही नियुक्ति पत्र बांटे गए। उन्होंने बताया कि मैनपुरी में 27 अगस्त को रोजगार मेले का आयोजन किया गया। मिर्जापुर और मुरादाबाद में रोजगार मेले प्रस्तावित हैं। इसके जरिए करीब 30 हजार रोजगार के अवसर मुहैया कराए जाएंगे।
मुजफ्फरनगर में मुख्यमंत्री ने करीब 158 करोड़ 65 लाख की लागत की विभिन्न विकास परियोजनाओं का लोकार्पण और करीब 157 करोड़ 72 लाख की परियोजनाओं का शिलान्यास किया। युवाओं को लुभाने में जुटे सीएम योगी राजनीति के जानकार वीरेंद्र सिंह रावत का कहना है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को अपेक्षित परिणाम न मिलने का एक बड़ा कारण रोजगार भी था। जिसे विपक्षी दलों ने मुद्दा बनाया। इसी वजह से मुख्यमंत्री योगी युवाओं को लुभाने के लिए चुनाव वाले जिलों में रोजगार मेले और विकास परियोजनाओं की सौगात देने में जुटे हैं। इसका लाभ भी मिल सकता है। जिलों में युवाओं की बड़ी संख्या है। वे मतदाता भी हैं। भाजपा इसका लाभ उठाने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने बताया कि जिन जिलों में उपचुनाव होने हैं, वहां मुख्यमंत्री ने पहले से ही मंत्रियों की फौज उतार दी है। जो जनता का मूड भांप रही है। इसके बाद उसी आधार पर रणनीति बनाकर मुख्यमंत्री जनता तक पहुंच रहे हैं। अभी रोजगार मेले और विकास परियोजनाओं के लिए मंच तैयार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री कई जिलों का दौरा कर चुके हैं। अब ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि मंत्रियों की फौज बीजेपी की मौज करा पाएगी या फिर विपक्ष उपचुनाव में भी आगे निकल जाएगा।
मालूम हो कि गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, कुंदरकी, करहल, कटेहरी, मिल्कीपुर, सीसामऊ, मझवां और फूलपुर सीटों पर उपचुनाव होने हैं। इनमें से नौ सीटें विधायकों के सांसद बनने से खाली हुई हैं। एक सीट सपा विधायक इरफान सोलंकी के सजायाफ्ता होने से खाली हुई है। भाजपा को इन दस सीटों की चिंता इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा नौ में से पांच सीटों पर पीछे थी।
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