इलाहाबाद हाईकोर्ट, फोटो- सोशल मीडिया
Allahabad High Court on Sambhal Maszid: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में सरकारी भूमि पर बने एक मैरिज हॉल, मस्जिद और अस्पताल को लेकर छिड़े कानूनी विवाद में मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद समिति द्वारा दायर तत्काल याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई थी। अदालत ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे स्थगन आदेश के लिए निचली अदालत का रुख करें।
मामला संभल जिले के रवा बुजुर्ग गांव का है, जहां एक मस्जिद “शरीफ गौसुल वारा”, एक मैरिज हॉल और अस्पताल को प्रशासन ने सरकारी जमीन पर बने अवैध निर्माण करार देते हुए नोटिस जारी किए थे। याचिकाकर्ता मुतवल्ली मिंजर और मस्जिद समिति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 की धारा 67 के तहत 2 सितंबर को पारित उस आदेश को चुनौती दी गई, जिसके आधार पर ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया शुरू की गई थी।
न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की एकल पीठ ने शनिवार को दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने मस्जिद समिति को सुझाव दिया कि वे स्थगन आदेश के लिए उचित मंच यानी सक्षम निचली अदालत में जाएं। सरकारी पक्ष की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता जेएन मौर्य और आशीष मोहन श्रीवास्तव ने बहस की, जबकि याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व अरविंद कुमार त्रिपाठी और शशांक श्री त्रिपाठी ने किया।
2 अक्टूबर को जिला प्रशासन ने भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच अवैध निर्माण ढहाने की कार्रवाई शुरू की। चार बुलडोजरों की मदद से मैरिज हॉल को ध्वस्त किया गया। मौके पर करीब 200 पुलिस और पीएसी जवानों की तैनाती की गई थी और ड्रोन कैमरों से पूरे ऑपरेशन की निगरानी की गई। समिति का दावा है कि कार्रवाई गांधी जयंती और दशहरे जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों के दिन की गई, जिससे कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती थी। इसके बावजूद प्रशासन ने कार्रवाई को अंजाम दिया।
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प्रशासन द्वारा चार दिन की नोटिस अवधि के बाद भी कार्रवाई शुरू करने पर याचिकाकर्ताओं ने आपत्ति जताई थी। हालांकि, समयसीमा समाप्त होने से पहले ही समिति के सदस्यों ने कथित तौर पर दीवारों के कुछ हिस्से स्वयं गिरा दिए थे। हाईकोर्ट की पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ताओं से जमीन के स्वामित्व से संबंधित दस्तावेज मांगे गए थे, लेकिन रिकॉर्ड पर्याप्त नहीं पाए गए।