
प्रतीकात्मक तस्वीर- मदरसा
बहराइचः योगी सरकार ने यूपी में मदरसों मॉडर्न करने का बीड़ा उठाया था, जिसमें धार्मिक शिक्षा साथ-साथ अन्य विषय भी मदरसों में पढ़ाया जाना था, लेकिन योगी सरकार की यह योजना बहराइच में बुरी तरह फेल हुई है। जिला मुख्यालय के एक मदरसे का अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने औचक निरीक्षण किया। इस 10 वीं की कक्षा में मौजूद एक भी छात्र अपना नाम अंग्रेजी में नहीं लिख पाया। इसके बाद विभाग ने संचालक को चेतावनी देते हुए नोटिस जारी किया।
जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी संजय मिश्र ने संवाददाताओं को बताया कि रविवार को बड़ी तकिया में मान्यता प्राप्त मदरसा जामिया गाजिया सैयदुलुलुम का औचक निरीक्षण किया गया और इस दौरान एक अध्यापक अनुपस्थित मिले, लेकिन रजिस्टर में उसकी गैरहाजिरी दर्ज नहीं थी।
संजय मिश्रा ने बताया कि मुंशी, मौलवी और आलिम की कक्षाओं में भी बच्चों की संख्या पंजीकरण के सापेक्ष बहुत कम थी। उन्होंने ने दावा किया कि निरीक्षण के दौरान दसवीं कक्षा के छात्रों से अंग्रेजी में अपना नाम और मदरसे का नाम लिखने को कहा गया, लेकिन एक भी छात्र ऐसा नहीं कर पाया। अधिकारी ने बताया कि मदरसे में अरबी, फारसी के अलावा अन्य विषयों की पढ़ाई पर ध्यान नहीं दिया जाता है, जिसके कारण बच्चों की स्थिति इतनी चिंताजनक है।
मिश्र ने कहा, ‘‘बच्चों पर ध्यान न देकर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।” स्थिति में सुधार लाने की चेतावनी देते हुए कहा गया कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। मदरसे के संचालक व अनुपस्थित अध्यापक को नोटिस दिया गया है।बहराइच जिले में कुल 301 मान्यता प्राप्त मदरसे हैं, इनके अलावा बीते दिनों कराए गये एक सर्वेक्षण में 495 गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का पता लगा गया है।
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सीएम योगी ने दो दिन पहले ही उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश की मदरसा शिक्षा व्यवस्था की गहन समीक्षा की थी। इस दौरान बैठक में उन्होंने कहा था कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि मदरसा, महज मजहबी शिक्षा के केंद्र बनकर न रह जाएं। वहां अध्ययनरत विद्यार्थियों को आधुनिक शिक्षा के सभी आयामों का लाभ मिलना चाहिए।






