होटल (सौ. सोशल मीडिया)
Hotel Superstitions: क्या आपने कभी किसी होटल में चेक-इन किया है? जब भी लिफ्ट का बटन दबाते हैं तो देखते हैं कि 13वीं मंज़िल है ही नहीं? या बुकिंग ग्रिड से कमरा नंबर 13 पूरी तरह गायब है। यह कोई संयोग नहीं है। लग्जरी होटल और बजट होटल दोनों में ही 13 नंबर को जानबूझकर नजरअंदाज किया जाता है। चाहे कमरे के नंबर हों, मंज़िल के लेबल हों या फिर प्रमोशनल ब्रोशर, इसे जानबूझकर छोड़ दिया जाता है।
यह ट्रिस्काइडेकाफोबिया है – संख्या 13 का मानसिक डर – एक ऐसा अंधविश्वास जो इतना व्यापक है कि यह होटलों की डिजाइन और मेहमानों के व्यवहार को प्रभावित करता है। कंफर्ट के इस उद्योग में मेहमानों को असहज करने वाली संख्या से बचना व्यवसाय मॉडल का हिस्सा बन गया है।
व्यावसायिक नजरिए से कमरा 13 से बचना ही समझदारी है। अगर मेहमानों का एक छोटा सा हिस्सा भी इसे बुक करने में हिचकिचाता है, तो उस हिचकिचाहट का मतलब है आर्थिक का नुकसान। कई होटल बस उस मंजिल को 14 या 12A के रूप में लेबल कर देते हैं।
यह सिर्फ अंधविश्वास की बात नहीं है। संज्ञानात्मक सहजता का सिद्धांत दर्शाता है कि लोग ऐसे वातावरण को पसंद करते हैं जो परिचित, सरल और आश्वस्त करने वाला लगे। भले ही मेहमान जानबूझकर कमरा 13 से न डरते हों, फिर भी सूक्ष्म असुविधा उनके अनुभव को प्रभावित कर सकती है।
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भारत में यह संख्या पश्चिमी देशों जितनी महत्वपूर्ण नहीं है, लेकिन फिर भी अंतरराष्ट्रीय पर्यटक यहां के मेहमानों का हिस्सा हैं। किसी भी संभावित असुविधा को दूर करने के लिए कई भारतीय होटल चुपचाप वैश्विक पैटर्न का पालन करते हैं। बता दें कि होटलों में संख्या 13 अकेली नहीं है। अन्य कमरों के नंबर भी होटल के फ्लोर प्लान से चुपचाप हटा दिए गए हैं। इसके पीछे अलग-अलग देशों की अलग-अलग मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। लेकिन खास बात यह है कि इन संख्या को कस्टमर को सोच के हिसाब से तय किया जाता है।
420: भांग की संस्कृति से गहरा संबंध होने के कारण, यह अक्सर कमरों के साइन बोर्ड की चोरी का कारण बनता है।
666: ईसाई धर्म में “जानवर की संख्या” से जुड़ा है।
911: मेहमानों को आपातकालीन सेवाओं या 11 सितंबर के हमलों की याद दिलाता है।