बसंत पंचमी के दिन परिवार संग करें मां सरस्वती के इन प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन
Famous Saraswati Temples in India: बसंत पंचमी का त्योहार हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन घर, मोहल्ले, गांव और स्कूलों में मां सरस्वती की पूजा की जाती है। यह बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित करते हैं और विधिवत पूजा करते हैं। यह त्यौहार ज्यादातर उत्तर प्रदेश, बिहार सहित कई राज्यों में सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है।
बसंत पंचमी के दिन स्कूलों में कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं और इसके अलावा लोग बाहर घूमने का भी प्लान करते हैं। यह त्योहार मुख्य रूप से मां सरस्वती को समर्पित है। इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी। ऐसे में आप भारत के कुछ प्रसिद्ध सरस्वती मंदिर के दर्शन करने परिवार के साथ जा सकते हैं। इन मंदिरों में जाकर पूजा करने से जीवन में ज्ञान, संगीत और विद्या का आशीर्वाद मिलेगा।
तेलंगाना में मौजूद श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर बहुत ही प्रसिद्ध है। यहां पर बसंत पंचमी के दिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यहां पर अक्षराभ्यास के लिए विशेष पूजा भी आयोजित की जाती है। यह गोदावरी नदी के तट पर स्थित बसरा में मौजूद सरस्वती मंदिर भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे प्रसिद्ध मंदिर में से एक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस जगह पर वेदव्यास ने देवी सरस्वती की तपस्या की थी। जिसके बाद खुश होकर मां सरस्वती ने उन्हें दर्शन दिए थे।
कर्नाटक में स्थित श्रृंगेरी शारदा पीठ मंदिर को शारदाम्बा नाम से भी जानते हैं। माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना आदि गुरु शंकराचार्य ने आठवीं सदी में की थी। यह मंदिर तुंगा नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर की खास बात है कि ये पहले इस मंदिर में मां सरस्वती की मूर्ति चंदन की लकड़ी से बनी थी जिसके बाद इसे संत विद्यारण्य ने सोने से बनाकर स्थापित करवाया।
राजस्थान के पुष्कर में स्थित सरस्वती मंदिर बहुत ही खूबसूरत है। यह मंदिर विशेष रूप से विद्या और संगीत के साधकों के बीच प्रसिद्ध है। बसंत पंचमी के दिन यहां पर परिवार के साथ घूमने का प्लान किया जा सकता है। कहा जाता है कि माता सरस्वती के श्राप के बाद भगवान ब्रह्मा का मंदिर सिर्फ पुष्कर में ही बना है।
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कश्मीर के पीओके में स्थित मां सरस्वती का मंदिर बहुत ही प्राचीन है। यह विद्या और ज्ञान का प्रमुख केंद्र था। वर्तमान समय में यह मंदिर पाकिस्तान के नियंत्रण में है। लेकिन इसका इतिहास बहुत ही शानदार है। मंदिर कुपवाड़ा से करीब 22 किलोमीटर दूर स्थित है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण महाराज अशोक ने 237 ईसा पूर्व में करवाया था। इसे देवी के 18 महाशक्ति पीठों में से एक माना जाता है।