कोंढवाल वॉटरफॉल (सोर्स: सोशल मीडिया)
पुणे: सावन का महीना शुरू हो गया है। इस माह में भक्त भगवान शिव की आराधना करते है साथ ही प्रसिद्ध मंदिरों में जाकर भगवान शिव के दर्शन करते है। सावन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित भीमाशंकर ज्यातिर्लिंग के दर्शन करने भी जाते है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं जो पवित्र शिवलिंग और मानसून की धुंध से ढकी सह्याद्री पर्वतमाला और झरनों का आनंद लेते हैं।
भीमाशंकर जाने वाले रास्तों पर भारी बारिश के कारण फिसलन और दुर्घटना की आशंका के चलते यह आध्यात्मिक पर्यटक स्थल दो महीनों के लिए बंद कर दिया गया है। वन विभाग ने 30 सितंबर तक इसे पर्यटकों के लिए बंद करने का फैसला किया है। भीमाशंकर अभयारण्य क्रमांक 1 के वन रेंज अधिकारी वसंत चव्हाण ने इसकी घोषणा की। बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक भीमाशंकर में बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक पवित्र शिवलिंग के दर्शन, मानसून की धुंध से ढकी सह्याद्री पर्वतमाला और झरनों का अनुभव करने के लिए आते हैं। खास कर श्रावण के पावन महीने में यहां भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है।
हालांकि, प्राकृतिक खूबसूरती के बावजूद, ये जगह बारिश के मौसम में खतरनाक और पहुंच में मुश्किल हो सकती हैं। दुर्घटनाओं के बढ़ते जोखिम को देखते हुए, अधिकारियों ने भीमाशंकर वन्यजीव अभयारण्य 1 और 2 में झरनों की ओर जाने वाले सभी रास्तों को बंद करने का फैसला किया है। इन झरनों के कुंडों में पानी का अप्रत्याशित प्रवाह और गहराई आगंतुकों के लिए काफी खतरा पैदा कर सकती है। भारी बारिश और सडकों पर फिसलन के कारण लगभग 5 किलोमीटर पहले ही गाड़ियों को रोका जा रहा है।
वन विभाग की ओर से मिली जानकारी के अनुसार बंद किए गए मार्गों में कोंढवाल वॉटरफॉल, खोपीवली में चोंडी वॉटरफॉल, पदारवाडी के पास नहानिचा वॉटरफॉल, नारीवली में सुभेदर वॉटरफॉल, तथा पदारवाडी से काठेवाड़ी तक घोंगल घाट नाला और शिडी घाट सहित खंडास से भीमाशंकर तक के मार्ग शामिल हैं।
पुणे के वन्य जीव उपसंरक्षक ने भीमाशंकर आने वाले सभी पर्यटकों से मानसून में नियमों का सख्ती से पालन करने और अधिकारियों के साथ सहयोग करने का आग्रह किया है। पर्यटकों को बिना अनुमति के अवैध रूप से अभयारण्य में प्रवेश करने से भी सावधान किया गया है। वन रेंज अधिकारी वसंत चव्हाण ने संकेत दिया कि बिना अनुमति के प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश करने वालों पर वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
इससे पहले जुलाई में महाराष्ट्र वन विभाग ने भी मानसून के अंत तक ताम्हिनी वन्यजीव अभयारण्य और भीमाशंकर वन्यजीव अभयारण्य में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। पुणे में उप वन संरक्षक (वन्यजीव) तुषार चव्हाण ने कहा है कि इन अभयारण्यों में सभी दुर्घटना संभावित क्षेत्र 30 सितंबर, 2024 तक पर्यटकों के लिए बंद रहेंगे। हाल ही में भुशी बांध और ताम्हिनी घाट में हुई दुर्घटना में कई लोग पानी में बह गए थे, इसके बाद यह निर्णय लिया गया।