नागपुर न्यूज
Forest Department: वन विभाग ने अकोला में पौधारोपण अभियान में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की बात स्वीकार की। साथ ही इसमें शामिल अधिकारियों के वेतन से गबन की गई राशि की वसूली की अनुमति मांगी है। 16 सितंबर को पुणे के अतिरिक्त पीसीसीएफ (सामाजिक वानिकी) डब्ल्यूआई यातबोन ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (वन) मिलिंद म्हैस्कर को पत्र लिखकर स्वीकार किया कि 4 करोड़ से अधिक की वनरोपण परियोजना विफल हो गई है और दोषी अधिकारियों से वसूली के लिए मंजूरी का अनुरोध किया।
यह कदम ठाणे के विजय घुगे द्वारा ‘आपले सरकार पोर्टल’ पर दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर अमरावती के उप वन संरक्षक द्वारा की गई प्रारंभिक जांच के बाद उठाया गया है। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि अकोला के 8 गावों में 93 हेक्टेयर में 93,000 पौधे लगाने के लिए 2023 में स्वीकृत धनराशि का गबन किया गया।
हालांकि आधिकारिक रिकॉर्ड में रोहाना, नैरात, गनोरी, म्हैसांग, वलद बुजुर्क, पालोद और पलसो बुजुर्क जैसे गांवों में व्यापक पौधारोपण दिखाया गया था लेकिन जमीनी निरीक्षण से पता चला कि 93 पौधे भी नहीं बचे थे। इन निष्कर्षों का समर्थन करते हुए यातबोन के पत्र में अधिकारियों से वेतन वसूली की सिफारिश की गई है। पीसीसीएफ विवेक खांडेकर के अनुसार यह एक प्रारंभिक जांच है। ज़िम्मेदारी तय करने के लिए एक और विभागीय जांच की आवश्यकता होगी।
अकोला पौधारोपण अभियान में कथित तौर पर वनीकरण की आड़ में सार्वजनिक धन का दुरुपयोग किया गया। जिला योजना समिति द्वारा वित्तपोषित इस योजना का उद्देश्य अकोला के हरित क्षेत्र को बढ़ाना और जलवायु परिवर्तन को कम करना था।
इसकी बजाय यह विफल शासन का एक स्पष्ट उदाहरण बन गया है। इस संबंध में विजय घुगे ने उच्च स्तरीय जांच, धनराशि की वसूली और दोषी पाए जाने वालों के निलंबन व बर्खास्तगी सहित कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने वन अधिकारियों और फर्जी एनजीओ के बीच मिलीभगत का भी आरोप लगाया है।
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इस बीच डीएफओ एमसी खोरे ने स्वीकार किया कि गलत स्थान के चयन के कारण पौधारोपण विफल रहा। उन्होंने कहा कि एक स्थान जलमग्न हो गया, अन्य पर अतिक्रमण कर लिया गया। कुछ पौधे मवेशियों या आग से नष्ट हो गए। हालांकि खोरे ने घोटाले के आंकड़ों को खारिज करते हुए दावा किया कि खर्च लगभग 1।25 करोड़ था। इन स्पष्टीकरणों के बावजूद, आरएफओ स्तर की जांच से पुष्टि हुई कि 2 प्रश से भी कम पौधे जीवित बचे।