ब्रम्हाकपाल तीर्थ का महत्व (सौ.सोेशल मीडिया)
इन दिनों पितृ पक्ष का पावन समय चल रहा है जिसका महत्व हिंदू धर्म में काफी खास होता है यानि इस अनुष्ठान में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए वंशज इन दिनों में पूजा-पाठ और उनकी पसंदीदा चीजों का भोग लगाते है। हिंदू धर्म में वैसे तो पिंडदान का अलग महत्व है लेकिन हिंदू धर्म में कई स्थान ऐसे है जहां पर पिंडदान करने का महत्व होता है। आज हम उत्तराखंड की खास जगह ब्रह्मकपाल तीर्थ के बारे में बात कर रहे है जहां पर पिंडदान करने से पितरों को शांति और मोक्ष की प्राप्ति मिलती है।
आपको बताते चलें कि, हिंदू धर्म में इस जगह का अलग महत्व है कहते है पिंडदान से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इसका महत्व अब तक के पितरों के स्थान से जुड़ा हुआ है तो वहीं पर गया की तरह ही ब्रह्मकपाल तीर्थ में किया गया पिंडदान विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। कहते है कि, इस तीर्थ पर पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति और मुक्ति मिलती है. इस तीर्थ से जुड़ी कई महत्वपूर्ण मान्यताएं हैं जो इस जगह को हिंदू धर्म में इतना खास बनाती हैं। दरअसल यह तीर्थ उत्तराखंड के चमोली में चारों धामों में से एक बद्रीनाथ धाम के पास ब्रह्मकपाल तीर्थ है।
ब्रम्हाकपाल तीर्थ का महत्व (सौ.सोेशल मीडिया)
आपको बताते चलें कि, ब्रह्मकपाल तीर्थ से जुड़ी कई मान्यताएं है जिसके बारे में कम ही लोग जानते होंगे।
कहते है कि, जो भी शख्स पितृ पक्ष में इस जगह आकर पिंडदान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
काशी में किए गए पिंडदान की तरह इस जगह पर भी पिंडदान करने का फल मिलता है।
इतना ही नहीं कहा जाता है कि, इस जगह पर स्थित जल का कुंड काफी पवित्र होने के साथ ही पितृ पक्ष में इस जगह के जल में स्नान या पिंडदान करने से सभी पापों का नाश होता है।
इसके अलावा इस जगह की खासियत यह भी है कि, यह जगह काफी शांत है जहां पर पिंडदान करने से पितरों को शांति मिलती है इतना ही नहीं सभी पापों का नाश भी यहां पर होता है।