YouTube पर कमाई हुई मुश्किल। (सौ. Pixabay)
YouTube एक बार फिर अपनी मोनेटाइजेशन पॉलिसी में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। इस बार कंपनी का फोकस उन क्रिएटर्स पर है जो बार-बार एक जैसे, टेम्पलेट आधारित या मशीन-जैसे वीडियो बनाकर केवल व्यूज़ बटोरना चाहते हैं। 15 जुलाई 2025 से लागू हो रही यह नई नीति ओरिजिनल और क्वालिटी कंटेंट को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
Google के स्वामित्व वाले इस प्लेटफॉर्म ने अपने आधिकारिक सपोर्ट पेज पर जानकारी साझा करते हुए बताया है कि अब YouTube Partner Programme (YPP) के तहत “मास-प्रोड्यूस्ड” और “रिपेटेटिव” कंटेंट की जांच पहले से ज्यादा कड़ी होगी। “YouTube हमेशा से मौलिकता और प्रामाणिकता को प्राथमिकता देता आया है, और यह बदलाव उसी दिशा में अगला कदम है।”
किसी अन्य का वीडियो या ऑडियो बिना जरूरी बदलाव के सीधे इस्तेमाल करना अब मोनेटाइजेशन के लिए स्वीकार नहीं होगा। जरूरी है कि कंटेंट में आपकी अपनी रचनात्मकता झलके।
बार-बार एक जैसे फॉर्मेट, थंबनेल और टॉपिक पर बनाए गए वीडियो अब YouTube की निगरानी में होंगे। ऐसा कंटेंट जिसमें न शिक्षा हो, न मनोरंजन, केवल व्यूज़ के लिए बनाया गया हो, अब रेवेन्यू के लायक नहीं माना जाएगा।
हालांकि YouTube ने AI का नाम सीधे नहीं लिया है, लेकिन ट्रेंड्स को देखकर माना जा रहा है कि ऐसे वीडियो जो पूरी तरह से AI जनरेटेड हों – जैसे बिना किसी मानवीय रिएक्शन या आवाज़ के बनाए गए – वे भी इस नई नीति के तहत मोनेटाइजेशन से वंचित रह सकते हैं।
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YouTube पहले ही मोनेटाइजेशन के लिए कुछ मापदंड तय कर चुका है, जैसे कम से कम 1,000 सब्सक्राइबर्स और पिछले 12 महीनों में 4,000 वैध वॉच ऑवर्स या 90 दिनों में 10 मिलियन Shorts व्यूज़। लेकिन अब इन शर्तों को पूरा करने के बावजूद मौलिकता और क्वालिटी ही यह तय करेंगी कि आप पैसे कमा पाएंगे या नहीं।
यह बदलाव उन लोगों के लिए स्पष्ट संदेश है जो बिना मेहनत किए कमाई का सपना देख रहे थे। अब सिर्फ वही क्रिएटर्स YouTube पर टिक पाएंगे जो मेहनत, सोच और मौलिकता के साथ कंटेंट बनाते हैं।