जब हमारा देश अंग्रेजो के खिलाफ लड़ रहा था, तब पाकिस्तान का निशान तक नहीं था. बता दें कि वो दौर टाटा समूह के संस्थापक जेआरडी टाटा एयरलाइन ने अपनी पहचान लिखी
नई दिल्ली : जब हमारा देश अंग्रेजो के खिलाफ लड़ रहा था, तब पाकिस्तान का निशान तक नहीं था. बता दें कि वो दौर टाटा समूह के संस्थापक जेआरडी टाटा एयरलाइन ने अपनी पहचान लिखी। जबकि पहली एयरलाइन की पहली उड़ान में सावरिया नहीं बल्कि 25 किलो चिट्ठियां भेजी गई थी, आइए जानें की आखिर ऐसा क्यों हुआ था।
इस देश के इतिहास में ये घटना बहुत महत्वपूर्ण घटित हुई, जिस पर हर भारतीयों को गर्व महसूस हुआ. 15 अक्टूबर 1932 मतलब की 92 साल पहले टाटा एयरलाइन ने अपनी उड़ान पूरी की, पाकिस्तान के करांची से अहमदाबाद के रास्ते मुंबई तक की इस फ्लाइट को जेआरडी टाटा ने खुद उड़ान भरी थी। सिंगल इंजन के इस विमान का नाम ” डी हैविलैंड पस मोथ” था। बता दें कि इस देश की पहली एयरलाइन की पहली उड़ान में सवारियां नहीं बल्कि 25 किलो चिट्ठियां भेजी गई थीं।
इस घटना से हमारा देश आज भी गौरवान्वित महसूस करता है। हमारा देश अंग्रेजो से जंग लड़ रहा था, और हमारे आजादी के दीवाने उन्हें जवाब देने में लगे थे, उस समय पाकिस्तान का नामों-निशान तक कुछ भी नहीं था। कराची से केरल तक सिर्फ भारत माता के जयकारे ही गूंज रहे थे। उस समय टाटा ग्रूप के संस्थापक जेआरडी टाटा अपनी एक अलग पहचान और अपने सपने पूरा करने में लगे थे, दरअसल जैसे ही उनका सपना साकार होने की उम्मीद दिखी , उन्होंने ने एक नया इतिहास रच दिया।
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15 अक्तूबर 1932 को कराची से मुंबई तक की पहली उड़ान उन्होंने खुद ही तय किया था। हालांकि वे भारत के पहले कमर्शियल पायलट भी रह चुके थे,
दरअसल जेआरडी ने ठीक उसी समय टाटा एयरलाइंस की स्थापना कर दी , जो देश की पहली निजी व्यावसायिक विमान सेवा प्रदाता कंपनी बनकर सामने आई, और बाद में यही टाटा एयर लाइंस का नाम बदल कर एयर इंडिया कर दिया गया।
हवाई जहाज उड़ाने के बहुत शौकीन थे। बता दें कि 15 अक्तूबर 1932 को कराची से मुंबई तक की पहली उड़ान उन्होंने खुद ही तय किया था। हालांकि वे भारत के पहले कमर्शियल पायलट भी रह चुके थे, और उनके अलावे उनके पहले किसी भी भारतीय को ये मुकाम हासिल नहीं था, लाइसेंस उन्हें साल 1929 में हासिल हो गया था, और रोचक बात ये थी कि देश की पहली व्यावसायिक उड़ान में कोई भी यात्री नहीं था। दरअसल कराची से अहमदाबाद विमान उड़ाते हुए जेआरडी टाटा मुंबई खुद पहुंचे थे. इस विमान में लगभग 25 किलो चिट्ठियां रखे गए थे।
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बता दें कि ये चिट्ठियां मामूली नहीं थी, बल्कि ये सारे चिट्ठियां लंदन से कराची लाए गए थे और इन्हें ब्रिटेन का राजसी विमान लेकर आया था , जोजेआरडी टाटा के नाम से पहचाना जाता था। हमारे लिए ये जानना मजेदार होगा कि अंग्रेजी सरकार ने टाटा की कोई सहायता नहीं की , हम इस तरह कह सकते है कि डाक सेवाओं को सुचारु करने की दृष्टि से ये एयरलाइंस बनी, और बाद में यात्री सेवाओं की भी शुरुआत हुई।