AI Girlfriend से हो रही है परेशानी। (सौ. AI)
AI Girlfriend: दुनियाभर में इन दिनों AI गर्लफ्रेंड और वर्चुअल चैटबॉट का चलन तेज़ी से बढ़ रहा है। लाखों लोग इन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित चैट एप्लिकेशन का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन अब इस बढ़ती प्रवृत्ति को लेकर Perplexity के CEO अरविंद श्रीनिवास ने लोगों को चेताया है। उनका कहना है कि ये वर्चुअल साथी न केवल मनोवैज्ञानिक रूप से खतरनाक हैं, बल्कि ये इंसानों के वास्तविक जीवन से जुड़ाव को भी कमजोर कर रहे हैं।
अरविंद श्रीनिवास ने कहा कि AI कंपेनियन सिस्टम लगातार और अधिक एडवांस होते जा रहे हैं। ये न सिर्फ बातचीत को याद रख सकते हैं, बल्कि इंसानों की तरह भावनात्मक जवाब भी देने लगे हैं। उन्होंने चेतावनी दी, “जो कभी भविष्य का प्रयोग माना जाता था, वह अब वास्तविक संबंधों का विकल्प बनता जा रहा है और यही सबसे बड़ा खतरा है।”
श्रीनिवास के अनुसार, अब कई लोगों को असली ज़िंदगी उबाऊ लगने लगी है और वे हर दिन कई घंटे वर्चुअल रिलेशनशिप में बिताने लगे हैं। इससे उनका परसेप्शन और मानसिक संतुलन प्रभावित हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे AI चैटबॉट्स इंसान के दिमाग को मैनिपुलेट करने में सक्षम होते जा रहे हैं और व्यक्ति को धीरे-धीरे एक काल्पनिक दुनिया में धकेल देते हैं।
यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब वैश्विक स्तर पर AI पार्टनर ऐप्स की बाढ़ सी आ गई है। कई नई स्टार्टअप्स अब ऐसे बॉट्स पेश कर रही हैं जो “भावनात्मक साथी” के रूप में काम करते हैं। लेकिन टेक्नोलॉजी विशेषज्ञों का कहना है कि ये ऐप्स वास्तविक और आभासी जीवन की सीमाओं को धुंधला कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में इससे समाज के रिश्तों की परिभाषा ही बदल सकती है।
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AI कंपेनियन ऐप्स के उपयोग को लेकर हालिया डेटा भी चिंताजनक है। कॉमन सेंस मीडिया की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि करीब 72 प्रतिशत टीनएजर्स कम से कम एक बार AI गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड ऐप का इस्तेमाल कर चुके हैं। रिसर्चर का कहना है कि इस तरह के अनुभवों से युवाओं में भावनात्मक निर्भरता बढ़ती जा रही है, जिससे उनका मानसिक और सामाजिक विकास प्रभावित हो सकता है।
टेक्नोलॉजी के इस दौर में जहां AI इंसानों की जिंदगी आसान बना रहा है, वहीं वर्चुअल रिलेशनशिप्स का यह ट्रेंड भावनात्मक और मानसिक सेहत के लिए नया खतरा बन सकता है।