mark zuckerberg सेना को देगे नई तकनीक। (सौ. X)
21वीं सदी की जंग सिर्फ बंदूकों और मिसाइलों से नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और हाईटेक गैजेट्स से लड़ी जाएगी। इसी सोच के साथ मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग अब टेक्नोलॉजी को युद्ध के मैदान तक पहुंचाने में जुट गए हैं। सोशल मीडिया की दुनिया में अपना वर्चस्व स्थापित करने के बाद अब उनका अगला लक्ष्य है – अमेरिकी सेना को स्मार्ट और हाईटेक बनाना।
अब मेटा सिर्फ फेसबुक, इंस्टाग्राम या व्हाट्सऐप तक सीमित नहीं रही। कंपनी ने डिफेंस टेक्नोलॉजी की दुनिया में कदम रखते हुए, अमेरिकी सेना के लिए AI-आधारित स्मार्ट डिवाइसेज़ बनाने शुरू कर दिए हैं।
मेटा और डिफेंस टेक कंपनी Anduril की साझेदारी से अब एक नया सुरक्षा सिस्टम तैयार हो रहा है, जिसमें ऐसे स्मार्ट चश्मे और हेलमेट शामिल हैं, जो AI और अत्याधुनिक सेंसर से लैस होंगे।
इन डिवाइसेज़ की मदद से सैनिकों को रियल टाइम में खतरे की सूचना मिलेगी। दुश्मन की गतिविधियां, ड्रोन मूवमेंट, और छिपे हुए हमले – सब कुछ पहले से भांपना अब संभव हो जाएगा। AI से लैस ये गैजेट्स सैनिकों की सतर्कता और रणनीति क्षमता को कई गुना बेहतर बना देंगे।
इस तकनीक की सबसे क्रांतिकारी बात यह है कि सैनिक अब AI-इनेबल्ड हथियारों से सीधे संवाद कर सकेंगे। यानी आदेशों पर तेजी से प्रतिक्रिया देने वाले हथियार अब युद्ध में एक नया मोर्चा खोल सकते हैं।
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अगर यह प्रोजेक्ट सफल रहता है, तो मेटा की पहचान सिर्फ एक सोशल मीडिया कंपनी की नहीं, बल्कि आधुनिक युद्ध तकनीक की अग्रणी टेक कंपनी के रूप में होगी। यह तकनीक सैनिकों के लिए एक नया सुरक्षा कवच बन सकती है। “हम युद्ध की परंपरागत सोच को बदलना चाहते हैं। टेक्नोलॉजी अब सिर्फ मोबाइल स्क्रीन तक सीमित नहीं, बल्कि बॉर्डर तक पहुंच रही है।” – मेटा प्रवक्ता
दुनिया तेजी से बदल रही है और साथ ही बदल रहा है युद्ध का तरीका। ऐसे में मेटा का यह कदम दिखाता है कि भविष्य में टेक्नोलॉजी और डिफेंस का गठजोड़ कितनी दूर तक जा सकता है। अब जब सैनिकों को मिलेगा AI का साथ, तो लड़ाइयों का परिणाम भी पूरी तरह बदल सकता है।