जापान से भारत तक का सफर। (सौ. Linkdln)
Reiji Kobayashi Japanese Startup Founder In India: जापान और अफ्रीका में अपनी पहचान बनाने के बाद जापानी स्टार्टअप फाउंडर Reiji Kobayashi ने भारत को अपने बिजनेस सफर का नया पड़ाव चुना है। उन्होंने खुलकर बताया कि कैसे कॉलेज बीच में छोड़कर उन्होंने उद्यमिता की राह पकड़ी और क्यों भारत उनके लिए सबसे बड़ा अवसर साबित हो रहा है।
Reiji Kobayashi ने यूनिवर्सिटी की पढ़ाई पूरी किए बिना ही वेब मार्केटिंग कंपनी शुरू की थी। जापान में पहली कंपनी बेचने के बाद उन्होंने रियल एस्टेट और शेयर हाउस बिजनेस में हाथ आजमाया। साल 2018 में वे अफ्रीकी देश केन्या पहुंचे, जहां उन्होंने कॉलेज के दिनों में यात्रा की थी।
कोबायाशी का पहला साल बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। उन्होंने कहा, “मैंने पहले कई कंपनियां बनाई और बेची थीं, लेकिन यहां फंडिंग जुटाना बेहद मुश्किल था।” हिम्मत नहीं हारते हुए, उन्होंने अपनी सेविंग्स से Hakki नामक माइक्रोफाइनेंसिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किया। इसका उद्देश्य था लोगों को आसान किश्तों पर कार खरीदने में मदद देना। बीते छह वर्षों में Hakki ने 3,500 से अधिक कारों को फाइनेंस किया।
अफ्रीका में सीमित अवसरों को देखते हुए कोबायाशी ने भारत का रुख किया। उन्होंने कहा, “अफ्रीका की आबादी 1.4 अरब है लेकिन बिखरी हुई है, जबकि भारत की 1.3 अरब की आबादी एक बड़े अवसर के रूप में है और यहां की अर्थव्यवस्था तेज़ी से आगे बढ़ रही है।” इसी सोच के साथ वे 2024 में बेंगलुरु पहुंचे। आज उनकी कंपनी केन्या में 74, भारत में 4 और साउथ अफ्रीका में 2 लोगों को रोजगार दे रही है, जबकि मुख्यालय जापान में ही है। उनका लक्ष्य है कि 2028 तक कंपनी को जापानी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट किया जाए।
Reiji बेंगलुरु की जीवनशैली से बेहद प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, “यहां का मौसम शानदार है और मुझे सूट की बजाय कैजुअल टी-शर्ट पहनना पसंद है।” वे फुटबॉल खेलते हैं और भारतीय दोस्तों के साथ क्रिकेट देखते हैं। मज़ाकिया लहजे में उन्होंने बताया, “मैंने सोचा था कि ज्यादातर भारतीय वेजिटेरियन होंगे, लेकिन मेरे दोस्त चिकन और शराब के साथ क्रिकेट देखते हैं ये मेरे लिए सरप्राइज था।” हालांकि भारतीय खाने की तीखापन उन्हें अभी तक रास नहीं आया। “मैं ज्यादातर जापान से लाए गए नूडल्स ही खाता हूं,” उन्होंने हंसते हुए कहा।
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भारत और जापान के बिजनेस माहौल की तुलना करते हुए उन्होंने कहा, “यहां फैसले तेज़ी से लिए जाते हैं और लोग जोखिम उठाने से नहीं डरते। जापान में हर निर्णय कई मीटिंग्स और सहमति के बाद होता है।” उन्होंने भारतीय कर्मचारियों की मेहनत की सराहना भी की, “हमारे चार भारतीय एम्प्लॉयी मुझसे भी ज्यादा काम करते हैं सुबह 9 से रात 9 तक ऑफिस में रहते हैं। यहां तक कि ड्राइवर भी आधी रात तक एक्टिव रहते हैं।”
Reiji Kobayashi भविष्य में थाईलैंड जैसे देशों में विस्तार की योजना बना रहे हैं। हालांकि उनका मुख्य फोकस भारत पर ही है। उन्होंने कहा, “मैं भारत में कंपनी को बड़ा बनाना चाहता हूं और यहां की ग्रोथ का हिस्सा बनना चाहता हूं। हो सकता है मैं अस्थायी रूप से बाहर जाऊं, लेकिन भारत वापस जरूर आऊंगा।”