हाइपरलूप एक अत्याधुनिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम है जिसमें लो-प्रेशर ट्यूब्स के अंदर ट्रैवल पॉड्स को सुपरस्पीड पर चलाया जाता है। (सौ. X)
नवभारत टेक डेस्क: हाइपरलूप एक अत्याधुनिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम है जिसमें लो-प्रेशर ट्यूब्स के अंदर ट्रैवल पॉड्स को सुपरस्पीड पर चलाया जाता है। यह ट्रेन और मेट्रो की परंपरागत तकनीकों से अलग है, जिसमें यात्रियों के पॉड्स को वैक्यूम ट्यूब्स में एयर-बीयरिंग सरफेस पर मूव कराया जाता है। एक पॉड में 24 से 28 पैसेंजर यात्रा कर सकते हैं।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की है कि भारत का पहला हाइपरलूप टेस्टिंग ट्रैक बनकर तैयार हो गया है। यह ट्रैक 410 मीटर लंबा है और इसे बनाने का श्रेय आईआईटी मद्रास की आविष्कार हाइपरलूप टीम, भारतीय रेलवे, और स्टार्टअप TuTr को जाता है।
हाइपरलूप टेक्नोलॉजी को भविष्य की ट्रांसपोर्ट टेक्नोलॉजी माना जाता है। इसकी एफिशिएंसी और लागत प्रभावशीलता इसे मास ट्रांसपोर्ट के क्षेत्र में क्रांतिकारी बनाती है।
इस तकनीक की शुरुआत 1970 में स्विस प्रोफेसर मर्केल जफर ने की थी। 1992 में स्विस मेट्रो ने इस पर काम शुरू किया, लेकिन 2009 में यह प्रोजेक्ट बंद हो गया। 2012 में, एलन मस्क ने “हाइपरलूप एल्फा” पेपर पब्लिश करके इसे फिर से दुनिया के सामने प्रस्तुत किया।
इस तकनीक में पॉड्स को वैक्यूम ट्यूब्स में चलाया जाता है, जहां कम हवा के दबाव में ये बेहद तेज गति से मूव करते हैं। इस प्रणाली से न केवल समय की बचत होती है, बल्कि यह ऊर्जा-कुशल भी है।
आईआईटी मद्रास और भारतीय रेलवे का यह प्रोजेक्ट देश को आधुनिक परिवहन प्रणाली के क्षेत्र में अग्रणी बनाएगा।