ChatGPT रिकॉड कर रहा बाते। (सौ. Freepik)
ChatGPT privacy: आजकल लोग अपनी प्रोफेशनल से लेकर पर्सनल लाइफ तक की बातें ChatGPT के साथ शेयर करते हैं। लेकिन अगर आपको लगता है कि ये बातचीत हमेशा प्राइवेट रहेगी, तो आपको दोबारा सोचने की जरूरत है। OpenAI ने साफ किया है कि वह यूजर चैट्स को रिव्यू करती है और ज़रूरत पड़ने पर जानकारी कानूनी एजेंसियों के साथ भी साझा कर सकती है।
कंपनी ने अपने ब्लॉग में बताया कि संभावित हिंसा या खतरनाक गतिविधियों से जुड़े मामलों को उसकी प्रणाली पहचान लेती है। ऐसे मामलों को आगे स्पेशल रिव्यू टीम के पास भेजा जाता है। अगर टीम को लगता है कि खतरा गंभीर है, तो इसकी जानकारी तुरंत संबंधित एजेंसियों को दी जाती है। OpenAI ने कहा, “अगर कोई यूजर ChatGPT पर दूसरों को नुकसान पहुंचाने की योजना बनाता है, तो हम इसे हल्के में नहीं लेते। ऐसे मामलों में कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करना ज़रूरी होता है।”
ब्लॉग सामने आने के बाद कंपनी पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। बहुत से लोगों का मानना है कि ChatGPT के साथ की गई बातचीत पूरी तरह गोपनीय रहनी चाहिए। आलोचकों का तर्क है कि अगर हिंसा या खतरे की पहचान के लिए इंसानी टीम पर निर्भरता है, तो यह टूल पूरी तरह आत्मनिर्भर (Self-sufficient) कैसे कहलाएगा।
कई विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि एजेंसियों तक सूचना पहुंचाने के लिए कंपनी यूजर की लोकेशन कैसे ट्रैक करती है। इस बात को लेकर प्राइवेसी उल्लंघन की आशंका गहराई है। विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी है कि कोई दुर्भावनापूर्ण व्यक्ति हिंसा का झूठा संदेश भेजकर किसी निर्दोष को फंसा सकता है। ऐसे में पुलिस सीधे उस व्यक्ति के घर पहुंच सकती है, जिससे गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
ये भी पढ़े: eSIM टेक्नोलॉजी: स्मार्टफोन की दुनिया में नया डिजिटल बदलाव
OpenAI का यह कदम सुरक्षा की दृष्टि से ज़रूरी जरूर है, लेकिन इससे यूजर प्राइवेसी पर बड़े सवाल खड़े हो गए हैं। अब यह बहस तेज हो गई है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल्स को कितना अधिकार होना चाहिए और यूजर्स की निजी जानकारी कितनी सुरक्षित है।