
Sanchar Saathi को लेकर बदलें नियम। (सौ. Design)
Government on Sanchar Saathi: केंद्र सरकार ने कुछ महीने पहले यह नियम लागू किया था कि भारत में बिकने वाले हर स्मार्टफोन में Sanchar Saathi ऐप पहले से इंस्टॉल होना अनिवार्य होगा। लेकिन अब सरकार ने इस नियम को वापस ले लिया है। नए फैसले के अनुसार, मोबाइल निर्माता कंपनियों को अब इस ऐप को प्री-इंस्टॉल करने की जरूरत नहीं होगी।
सरकार का मूल उद्देश्य था कि हर नागरिक को साइबर सुरक्षा आसान तरीके से मिले और ऑनलाइन फ्रॉड से बचाव के लिए एक मजबूत साधन उपलब्ध हो। Sanchar Saathi एक सुरक्षित सरकारी प्लेटफॉर्म है, जिसे खास तौर पर इस लिए बनाया गया है कि लोग साइबर अपराधियों की पहचान कर सकें और “धोखाधड़ी की शिकायत तुरंत कर सकें।” सरकार ने साफ किया था कि ऐप में कोई भी ऐसा फीचर नहीं है जो यूजर की प्राइवेसी को नुकसान पहुंचाए।
Sanchar Saathi ऐप का सबसे बड़ा उद्देश्य था कि देश में साइबर फ्रॉड से लड़ने में जनता की भागीदारी बढ़े। इसके माध्यम से कोई भी नागरिक ऑनलाइन धोखाधड़ी की रिपोर्ट कर सकता है। ऐप न तो किसी भी तरह की ट्रैकिंग करता है और न ही मोबाइल के अन्य निजी डेटा तक पहुंच रखता है। यूजर चाहे तो इसे कभी भी अनइंस्टॉल कर सकता है। सरकार ने यह भी कहा था कि ऐप का एकमात्र लक्ष्य लोगों को सुरक्षित रखना है, “इसका कोई दूसरा उद्देश्य नहीं है।”
सरकार के आंकड़ों के अनुसार अब तक 1.4 करोड़ भारतीय यूजर्स इस ऐप को डाउनलोड कर चुके हैं। यह प्लेटफॉर्म रोजाना करीब 2,000 साइबर फ्रॉड मामलों की जानकारी इकट्ठा करता है, जिससे अपराधियों की पहचान और कार्रवाई में तेजी आ रही है। प्री-इंस्टॉल नियम का उद्देश्य उन यूजर्स की मदद करना था जो तकनीक का कम इस्तेमाल करते हैं, ताकि वे भी आसानी से इस ऐप को उपयोग कर सकें।
पिछले 24 घंटों में ही लगभग 6 लाख यूजर्स ने ऐप इंस्टॉल किया। यह सामान्य डाउनलोड की तुलना में 10 गुना अधिक है। बढ़ते डाउनलोड यह दर्शाते हैं कि लोग Sanchar Saathi को अपनी डिजिटल सुरक्षा के लिए जरूरी समझने लगे हैं और सरकार के इस प्रयास पर भरोसा कर रहे हैं।
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ऐप की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए सरकार ने निर्णय लिया कि अब इसे जबरन प्री-इंस्टॉल कराने की आवश्यकता नहीं रह गई है। अब मोबाइल कंपनियों को यह ऐप फोन में पहले से शामिल करने की बाध्यता नहीं होगी। हालांकि यूजर्स इसे चाहें तो प्ले स्टोर और ऐप स्टोर से आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं। सरकार का मानना है कि ऐप अब खुद ही जनता के बीच लोकप्रिय हो चुका है, इसलिए अनिवार्य इंस्टॉलेशन की जरूरत नहीं है।
यह फैसला दर्शाता है कि सरकार यूजर्स की प्राइवेसी और उनके निर्णय का सम्मान करती है। अब लोग अपनी मर्जी से तय कर सकेंगे कि उन्हें यह ऐप इस्तेमाल करना है या नहीं। फिर भी, बढ़ते साइबर अपराधों को देखते हुए सरकार लोगों को ऐसे सुरक्षित और भरोसेमंद टूल्स का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करती है।






