विराट कोहली और रियान पराग (सौजन्यः BCCI एक्स)
Riyan Parag Emotional Story: राजस्थान रॉयल्स के स्टैंड-इन कप्तान रियान पराग कभी टीम इंडिया की टी20 योजनाओं में लगातार शामिल रहते थे। उन्होंने एक वनडे भी खेला था, लेकिन पिछले 486 दिनों से वह भारतीय टीम से बाहर हैं। अब पराग ने अपनी वापसी का इरादा स्पष्ट करते हुए बताया कि इस लंबे ब्रेक के दौरान उन्होंने किन मानसिक और भावनात्मक चुनौतियों का सामना किया।
पराग ने द हिंदू से बातचीत में स्वीकार किया कि घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन के बावजूद IPL में वह अपनी लय नहीं पा सके। उन्होंने कहा कि लगातार रन न बनने का दबाव इतना बढ़ गया था कि वह खुद को संभाल नहीं पाते थे और बाथरूम में जाकर रोते थे। उनका कहना था कि तीन-चार साल तक घरेलू क्रिकेट और IPL में वह संघर्ष करते रहे। चोट से उबरकर लौटना भी आसान नहीं था, क्योंकि फिटनेस और आत्मविश्वास दोनों को फिर से खड़ा करना पड़ता है।
उन्होंने बताया कि उनके दो SMAT सीजन बेहतरीन गए, जहां 7 मैचों में उनका औसत करीब 45-50 रहा, लेकिन IPL में स्थिति बिल्कुल उलट थी। 14 मैचों में वह एक बार भी 70 रन पार नहीं कर पाए। इससे उनके मन में सवाल उठने लगे कि क्या उन्हें अधिक अभ्यास करना चाहिए या ब्रेक लेना चाहिए। कई बार मन करता था कि सब छोड़कर छुट्टी पर निकल जाएं, ताकि मानसिक बोझ कम हो सके।
पराग ने कहा कि IPL की असफल पारियों ने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया था। उन्होंने स्वीकार किया कि हर बार फ्लॉप होने पर वह खुद से निराश हो जाते थे और कई बार भावनाओं को छिपाने के लिए बाथरूम में जाकर रो पड़ते थे। उन्होंने बताया कि SMAT जैसे टूर्नामेंट पूरी तरह मसल मेमोरी पर आधारित होते हैं। अगर खिलाड़ी फॉर्म में है तो रन आते रहते हैं, लेकिन जैसे ही प्रदर्शन गिरता है, यह डर बढ़ जाता है कि IPL जैसे बड़े मंच पर क्या होगा। इसी डर ने उन्हें कई बार मानसिक रूप से परेशान किया।
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रियान पराग आखिरी बार भारत के लिए 12 अक्टूबर 2024 को बांग्लादेश के खिलाफ खेले थे। इसके बाद चोट और फॉर्म की वजह से वह टीम से बाहर हो गए। लेकिन अब पराग का कहना है कि वह पूरी तरह विश्वास के साथ वापसी करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय टीम के लिए उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया है और वह सफेद गेंद के दोनों फॉर्मेट में खेल सकते हैं। पराग ने कहा कि जैसे ही वह अपनी फिटनेस और फॉर्म वापस पा लेंगे, दोबारा भारतीय जर्सी पहनना सिर्फ समय की बात होगी। उनका मानना है कि कड़ी मेहनत और सही मानसिकता उन्हें फिर से राष्ट्रीय टीम तक पहुंचा सकती है।