केरल टीम (फोटो-सोशल मीडिया)
स्पोर्ट्स डेस्क: बीसीसीआई द्वारा आयोजित रणजी ट्रॉफी 2024-25 सीजन में केरल की टीम फाइनल में पहुंच गई है। केरल के रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचने के कुछ ही पल बाद राजनेता, मॉलीवुड सितारे, जाने-माने लेखक और कई खिलाड़ियों ने टीम को बधाई दी। इसके बाद सोशल मीडिया पर बधाई का ताता लग गया। सभी ने सोशल मीडिया पर टीम को बधाई दी।
केरल की टीम 352 रणजी मैच के बाद पहली बार फाइनल में पहुंचने में कामयाब रही है। जियो सिनेमा पर प्रसारित इस मैच में दर्शकों की संख्या में अचानक वृद्धि देखने को मिली। 2.5 लाख से बढ़कर सीधे 6 लाख हो गया। केरल के पहली बार फाइनल में पहुंचने के बाद सभी लोग ने तरह-तरह से जश्न मनाया।
केरल को यह इतिहास बनाने के लिए 352 मैचों का वेट करना पड़ा। केरल क्रिकेट का भी अलग इतिहास रहा है। केरल क्रिकेट की भी ऐसी ही एक कहानी है। यह कहानी 2000 के दशक के मध्य से शुरू होती है। तब तक केरल का क्रिकेट के उच्च स्तर पर जुड़ाव सीमित था, जिसमें तिनू योहनन और एस श्रीसंत जैसे खिलाड़ी शामिल थे। जबकि मलयालम अखबारों ने सुनील वाल्सन, अजय जडेजा और अबे कुरुविल्ला के राज्य से जुड़ी कहानियों को सेलिब्रेट किया।
शायद राज्य में अब तक का सबसे बड़ा क्रिकेट इवेंट 1950 के दशक में त्रिपुनिथुरा क्रिकेट क्लब द्वारा आयोजित पूजा नॉकआउट्स था, जिसमें कुछ प्रमुख खिलाड़ी जैसे कि के श्रीकांत और वी बी चंद्रशेखर कभी-कभी हिस्सा लेते थे। लेकिन 2005 में कुछ क्रिकेट अधिकारियों ने अनुभवी प्रशासक टी सी मैथ्यू के नेतृत्व में एक बैठक की, ताकि राज्य के क्रिकेट में बदलाव लाया जा सके।
बीसीसीआई के पूर्व उपाध्यक्ष मैथ्यू ने मीडिया एजेंसी से बात करते हुए कहा कि हमारी प्रतिभा का स्तर मुंबई, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु जैसी टीमों की तुलना में सीमित है। केरल में राज्य टीम 14 जिलों से चुनी जाती है, जिसमें 15 खिलाड़ियों की एक टीम बनती है और इससे लगभग 220 खिलाड़ी होते हैं। इसमें कोई मानक नहीं है। इसलिए मैंने हर जिले में एक अकादमी बनाने का विचार किया। हमें वहीं पर प्रतिभाएं ढूंढनी हैं और कोचों को ट्रेनिंग देनी है। लेकिन यह एक कठिन काम था क्योंकि राज्य में क्रिकेट का पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं था। मैथ्यू पहले इस स्थिति को बदलना चाहते थे।
उन्होंने कहा कि हमारा पहला उद्देश्य प्रोपर इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना के था। अब हमारे पास राज्य में 17 प्रथम श्रेणी मैदान है। 2005 में हमारे पास एक भी मैदान नहीं था। हमने सुनिश्चित किया कि कोच बीसीसीआई के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में नामांकित हों और अब मुझे लगता है कि केरल में हमारे पास कई अन्य अग्रणी राज्यों की तुलना में अधिक लेवल 1 कोच हैं। हमारे पास विशेषज्ञ इन-हाउस क्यूरेटर भी हैं।
मैथ्यू ने कहा कि अब परिणाम दिखने लगे हैं। पहले क्रिकेट खिलाड़ी केवल शहरों जैसे कि तिरुवनंतपुरम, कोच्चि और थलासेरी से आते थे। लेकिन अब केरल की टीम में कासरगोड़, कोझीकोड, इडुक्की, अलप्पुझा, पलक्कड़ जैसे स्थानों से भी खिलाड़ी आने लगे हैं। वरिष्ठ कोच बिजू जॉर्ज ने कहा कि हमें इस प्रदर्शन को बनाए रखने के लिए लगातार मेहनत करनी होगी।
खेल की अन्य खबरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
कोच बिजू जॉर्ज ने खिलाड़ियों के लिए एक खुला वातावरण तैयार किया, जहां उन्हें अपनी क्षमता दिखाने की पूरी स्वतंत्रता मिली। केसीए अध्यक्ष विनोद कुमार ने भी कोचों को पूरी स्वतंत्रता दी और यह सुनिश्चित किया कि सही चयनकर्ताओं और कोचों का समर्थन मिले।