
भारतीय टीम (फोटो-सोशल मीडिया)
India vs South Africa, 2nd Test: भारतीय क्रिकेट टीम के प्रशंसकों को जिस नतीजे की उम्मीद नहीं थी, हेड कोच गौतम गंभीर के नेतृत्व में उन्हें वह सब देखना पड़ रहा है। न्यूजीलैंड से क्लीन स्वीप के सदमे से बाहर आए बिना, अब साउथ अफ्रीका ने भी भारत को उसके घर में चारों खाने चित्त कर दिया है। कोलकाता में पहला टेस्ट हारने के बाद गुवाहाटी पहुंची ऋषभ पंत एंड कंपनी ने पूरी तरह घुटने टेक दिए और यह सीरीज 2-0 से गंवा दी।
गुवाहाटी में भारत को 408 रन के बड़े अंतर से हार मिली, जो मेजबानों की टेस्ट इतिहास में सबसे बड़ी हार है। सालभर के अंदर टीम इंडिया को अपने घर में दूसरी बार शर्मसार होना पड़ा है। साउथ अफ्रीका ने 25 साल बाद भारत में आकर टेस्ट सीरीज जीती है। इस ऐतिहासिक हार के पीछे कई बड़े कारण रहे, जिन पर फैंस और क्रिकेट पंडित सवाल उठा रहे हैं।
गुवाहाटी में भारत की हार का सबसे बड़ा कारण उसकी टॉप ऑर्डर की बेदम बल्लेबाजी रही। मैच देखते समय हर एक दर्शक को ऐसा महसूस ही नहीं हुआ कि भारतीय बल्लेबाज उसी पिच पर खेल रहे थे जिस पर अफ्रीकी बल्लेबाज खेल रहे थे। भारतीय टीम का टॉप ऑर्डर, जिसमें केएल राहुल, यशस्वी जायसवाल, साई सुदर्शन, ऋषभ पंत तो एकदम से फेल हो गए। रवींद्र जडेजा जैसे कुछ देर तक टिक पाए। बाकी पूरा बल्लेबाजी का ऑर्डर ताश के पत्तों की तरह बिखर गया। कहा जा रहा है कि भारतीय बल्लेबाजों का रवैया पूरी तरह गैरजिम्मेदाराना रहा, और कुछ ने अपने शॉट सेलेक्शन से दर्शकों व फैंस को निराश किया।
वहीं दूसरी ओर देखा जाए तो मेहमान टीम के पुछल्ले बल्लेबाजों ने घंटों क्रीज पर समय बिताया। साउथ अफ्रीका के लिए 7वें नंबर पर आए सेनुरन मुथुसामी (106) ने शतक जमाया, जबकि 9वें नंबर पर उतरे मार्को यानसेन (93) ने जुझारू पारियां खेलकर टीम की जीत के लिए अच्छा आधार तैयार किया। इसलिए कहा जा सकता है कि भारतीय बल्लेबाजों की घटिया प्रदर्शन ही इस हार का सबसे बड़ा सितम बना।
बल्लेबाजों की तरह भारतीय गेंदबाजों ने भी टीम की हराने में अपनी भूमिका निभायी। मैच के पहले दो दिन तक अफ्रीकी बल्लेबाजों ने भारतीय गेंदबाजों को खासा परेशान किया। खेल को देखकर ऐसा लगा जैसे गेंदबाजों को पिच से बिल्कुल मदद नहीं मिल रही थी, लेकिन जब अफ्रीकी गेंदबाजों की बारी आई तो उन्होंने विकेट पर विकेट चटकाए और भारतीय बल्लेबाज एक-एक करके आउट होते चले गए।
यह भी पढ़ें: साउथ अफ्रीका ने साफ किया भारत का सूपड़ा, 25 साल बाद टेस्ट सीरीज जीतकर रचा इतिहास
एक ओर जहां पहली पारी में मार्को यानसेन की बाउंसर्स ने भारतीय बल्लेबाजों को परेशान किया (6 विकेट), तो दूसरी पारी में साइमन हार्मर की फिरकी ने पंजा खोला। इसी पिच पर जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज, रवींद्र जडेजा और कुलदीप यादव की गेंदबाजी बेअसर दिखी। भले ही कुलदीप और जडेजा ने विकेट निकाले, लेकिन वह सही समय पर नहीं आए, जिससे विरोधी टीम भारी स्कोर बनाने में सफल रही।
इस मुकाबले में ऋषभ पंत न केवल बल्ले से फ्लॉप रहे, बल्कि उनकी कप्तानी भी सवालों के घेरे में रही। शुभमन गिल के चोटिल होने के बाद उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी और माना जा रहा था कि वह अच्छा खेल दिखाएंगे, लेकिन कप्तान पंत के कुछ फैसलों ने चौंकाया। मैच की पहली पारी में नीतीश रेड्डी से केवल 6 ओवर गेंदबाजी कराना समझ से परे रहा। वहीं दूसरी पारी में कुलदीप का इस्तेमाल भी समय से नहीं किया।
भारतीय टीम ने कहीं न कहीं साउथ अफ्रीका को हल्के में लेने की कोशिश की। टीम इंडिया के खिलाड़ी ये भूल गए कि वह टेस्ट चैंपियन है। यह तब और स्पष्ट हुआ जब पहले टेस्ट में जसप्रीत बुमराह ने विपक्षी कप्तान तेम्बा बावुमा को ‘बौना’ कह दिया। साउथ अफ्रीकी खिलाड़ियों की बॉडी लैंग्वेज ने दर्शाया कि वे क्यों टेस्ट फॉर्मेट के मौजूदा चैंपियन हैं।
हेड कोच गौतम गंभीर के रहते भारत ने दूसरी बार अपने घर में सीरीज बिना कोई मैच जीते गंवाई है। गंभीर पर दोष इसलिए भी मढ़ा जा रहा है क्योंकि उनके हेड कोच बनने के कुछ ही महीनों के भीतर भारत के तीन दिग्गज खिलाड़ियों रोहित शर्मा, विराट कोहली और रविचंद्रन अश्विन ने एक के बाद एक संन्यास ले लिया था। उनके जाने के बाद कई नए खिलाड़ियों को मौका दिया गया। चूँकि टीम अच्छा नहीं कर पाई, इसलिए इसका दोष भी गंभीर के सिर ही मढ़ा जाएगा। गुवाहाटी में हुए टेस्ट मैच को लेकर गंभीर का रुख ऐसा नहीं दिखा जिससे भारत यह मुकाबला बचा पाता।
इस तरह से देखा जाए तो यह हार भारतीय क्रिकेट के लिए एक बड़ा सबक है, जो टीम को अपनी रणनीति, चयन और कप्तानी पर गंभीरता से विचार करने के लिए मजबूर करती है।






