अमनजोत कौर (फोटो- सोशल मीडिया)
Amanjot Kaur Emotional Story: भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने आईसीसी वर्ल्ड कप 2025 का खिताब जीतकर नया इतिहास रचा। साउथ अफ्रीका को हराना भारत के लिए केवल एक ट्रॉफी जीतना नहीं था, बल्कि यह जज्बे, जुनून और त्याग की कहानी थी। इस ऐतिहासिक जीत में जहां दीप्ति शर्मा और शेफाली वर्मा के ऑलराउंड प्रदर्शन ने अहम भूमिका निभाई, वहीं फील्डिंग के मोर्चे पर अमनजोत कौर का योगदान भी कम नहीं था।
फाइनल मुकाबले में अमनजोत बल्ले या गेंद से भले ही खास कमाल न दिखा सकीं, लेकिन फील्ड पर उनका प्रदर्शन निर्णायक साबित हुआ। उन्होंने सबसे पहले साउथ अफ्रीकी ओपनर ताजमिन ब्रिट्स को रनआउट कर भारत को शुरुआती सफलता दिलाई।
जब साउथ अफ्रीकी कप्तान लॉरा वोलवार्ट शानदार शतक लगाकर मैच को रोमांचक बना रही थीं, तब दीप्ति शर्मा की गेंद पर अमनजोत ने बाउंड्री लाइन पर ऐसा कैच पकड़ा जिसने पूरी बाजी पलट दी। वह कैच दो बार उनके हाथ से छूटा जरूर, लेकिन तीसरी बार उन्होंने शानदार तरीके से उसे थाम लिया। उसी पल भारत की जीत लगभग तय हो गई थी।
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मैदान पर अमनजोत की मुस्कान के पीछे एक भावनात्मक कहानी छिपी थी। वर्ल्ड कप के दौरान उनकी दादी अस्पताल में भर्ती थीं, जिन्हें दिल का दौरा पड़ा था। परिवार ने यह बात अमनजोत से छिपा ली ताकि वह मानसिक रूप से विचलित न हों और पूरे ध्यान से खेल पर फोकस कर सकें। अमनजोत के पिता भूपिंदर सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि “मेरी मां भगवंती ने अमनजोत का हर कदम पर साथ दिया है। जब मैं दुकान पर होता था, वो पार्क में बैठकर देखती थीं कि अमनजोत लड़कों के साथ कैसे खेलती है। जब उन्हें हार्ट अटैक आया, तो हमने अमनजोत को नहीं बताया। अब वर्ल्ड कप जीत ने हमें राहत दी है।”
दादी भगवंती शुरू से ही अमनजोत की सबसे बड़ी प्रेरणा रही हैं। मोहाली की गलियों से लेकर वर्ल्ड कप फाइनल तक उन्होंने अपनी पोती का हौसला बढ़ाया। भारत की जीत के बाद जब हरमनप्रीत कौर ने आखिरी कैच पकड़ा, तब अमनजोत की आंखों से आंसू बह निकले। उन्होंने मैच के बाद कहा, “वो कैच मेरे जीवन का सबसे अहम पल था। इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकती। हमने इतिहास रच दिया है। अब भारतीय महिला क्रिकेट नए स्तर पर पहुंच चुका है। मैं अपनी टीम, कोच और परिवार, खासकर अपनी दादी को धन्यवाद देना चाहती हूं।”
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अमनजोत कौर का यह सफर केवल क्रिकेट की कहानी नहीं, बल्कि साहस, समर्पण और भावनात्मक शक्ति की मिसाल है। मुश्किल परिस्थितियों में भी उन्होंने अपनी टीम को जीत की राह पर पहुंचाया और यह साबित कर दिया कि असली खिलाड़ी वही है जो हर हाल में देश के लिए खेलता है।