पीएम मोदी और जस्टिन ट्रूडो (डिजाइन फोटो)
यह मानना खुद को मुगालते या भ्रम में रखना होगा कि पश्चिमी देश भारत के हितैषी हैं। इन देशों का भारत और एशियाई देशों के प्रति आज भी औपनिवेशिक नजरिया बना हुआ है। दक्षिण एशिया की महाशक्ति भारत की प्रगति इन देशों को बर्दाश्त नहीं होती। भारत के खिलाफ साजिश और बेबुनियाद आरोप लगाने में सभी एकजुट हो जाते हैं।
ताजा उदाहरण 5 पश्चिमी देशों के जासूसी संगठन ‘फाइव आइज’ से जुड़ा हुआ है। भारत और कनाडा के विवाद में अमेरिका और आस्ट्रेलिया के बाद अब ब्रिटेन भी कूद पड़ा है। इन देशों ने कनाडा का खुलकर समर्थन किया है। कनाडा के खालिस्तानी आतंकी हरदीपसिंह निज्जर की हत्या में भारत पर लगाए गए आरोपों का ब्रिटेन ने समर्थन किया है।
ब्रिटेन ने कनाडा की न्यायिक प्रणाली पर पूरा विश्वास जताते हुए कहा कि कनाडा की कानूनी प्रक्रिया में भारत सरकार का सहयोग होना चाहिए। ‘फाइव आइज’ के तीनों देशों ने भारत से मांग की कि वह कनाडा को निज्जर हत्याकांड मामले की जांच में मदद करे। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि आरोप बेहद गंभीर है। भारत सरकार का कनाडा को जांच में सहयोग नहीं है। जाहिर है कि भारत ने सही रास्ता नहीं चुना है।
खालिस्तानी आतंकी भारत के एक और विभाजन की कुटिल साजिश रच रहे हैं और उनकी पीठ पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का खुलकर हाथ है। अन्य पश्चिमी देशों की भी इस पर मौन सहमति दिखाई देती है। जो षड़यंत्रकारी ताकतें भारत को तोड़ना चाहती हैं उनको इस तरह प्रोत्साहन देना शर्म की बात है।
यह भी पढ़ें- महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उद्धव ठाकरे होंगे फेवरेट फेस, जानिए कौन जीतेगा चुनावी रेस?
भारत इन देशों के दबाव में हरगिज नहीं आएगा। हम तो किसी देश के खिलाफ साजिश के बीज नहीं बोते, फिर पश्चिमी देश ऐसी शरारतपूर्ण और घटिया हरकत क्यों कर रहे हैं? भारत किसी ने दबने वाला नहीं है और साजिशों का करारा जवाब देगा।
एक ओर तो अमेरिका भारत को अपना महत्वपूर्ण सहयोगी कहता है और दूसरी ओर वह विदेशी मामलों में भारत के स्वतंत्र रुख पर अप्रसन्नता जताता है। भारत की विदेश व रक्षा नीतियां और रूस के साथ अच्छे संबंध अमेरिका की आंखों की किरकिरी बने हुए हैं। वह चाहता है कि भारत उसकी बताई राह पर चले।
अमेरिका एनजीओ, कूटनीतिज्ञों, राजनेताओं, ब्यूरोक्रेट, कुछ मीडिया हाउसेज और शैक्षणिक संस्थाओं के जरिए भारत सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश करता है। भारत में शाहीनबाग धरना, किसान आंदोलन तथा सीएए को लेकर दुष्प्रचार के पीछे पश्चिमी ताकतों का हाथ था तभी यह विरोध प्रदर्शन इतने दिनों चला। जो लोग सरकार की नीतियों का विरोध कर अराजकता फैलाना चाहते हैं उनसे विदेशी मेल-मुलाकात करते रहते हैं।
निर्वाचित सरकारों को पलटाने में विशेषज्ञ अमेरिकी अधिकारी डोनाल लू बार-बार भारत की यात्रा कर चुके हैं। जेनिफार लार्सन ने एआईएमआईएम नेता ओवैसी से मुलाकात की। वह विपक्षी नेताओं और सिख अलगाववादियों से भी मिलीं। अमेरिका को हिंद महासागर क्षेत्र में चीन का बढ़ता प्रभाव रोकने के लिए भारत का सहयोग जरूरी है।
इसलिए क्वाड संगठन बनाया गया है। भारतीय विदेशमंत्री एस जयशंकर बहुत सधे हुए तरीके से हर समस्या से निपट रहे हैं। भारत अब किसी के दबाव में आनेवाला नहीं है। इतने पर भी सतर्क रहने की आवश्यकता है।
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी द्वारा