तेजप्रताप की वजह से मची हलचल (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, राजद प्रमुख लालूप्रसाद यादव ने सख्त निर्णय लेते हुए अपने बड़े बेटे तेजप्रताप यादव को परिवार और पार्टी दोनों से बाहर कर दिया। अपने 51 वर्ष के राजनीतिक करिअर में यह लालू के लिए अत्यंत कठिन फैसला था।’ हमने कहा, ‘जब पानी सिर से ऊपर चला जाए तो कौन बर्दाश्त करेगा। अपने सनकी और नालायक बेटे की करतूतों की वजह से लालू के परिवार और पार्टी की बदनामी हो रही थी। तेजप्रताप को कुछ भी समझाना उल्टे घड़े पर पानी डालने के समान था। कुछ माह बाद बिहार विधानसभा का चुनाव है।
लालू की 9 संतानों में सबसे बड़े तेजप्रताप में न तेज है, न प्रताप! वह लालू परिवार के लिए राहु-केतु के समान है। 36 वर्षीय तेजप्रताप ने फेसबुक पर दावा किया कि वह पिछले 12 वर्षों से एक महिला के साथ रिलेशनशिप में है। इस खुलासे की वजह से पार्टी ही नहीं, यादव समुदाय के लोग भी लालू परिवार से दूरी बरत सकते हैं। इसलिए लालू ने अपने इस कपूत से नाता तोड़ लिया है। तेजप्रताप का विवाह पूर्व मंत्री दारोगा प्रसाद राय की सुशिक्षित व आधुनिक विचारों वाली बेटी ऐश्वर्या से हुआ था लेकिन पति-पत्नी की आपस में बिल्कुल नहीं पटी। दोनों के बीच तलाक का मामला पेंडिंग है।
एक समय नीतीशकुमार की सरकार में तेजप्रताप को स्वास्थ्यमंत्री बनाया गया था लेकिन उन्हें द्वेष था कि उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री पद दिया गया था। अपनी जिम्मेदारी छोड़कर तेजप्रताप पीतांबर पहने वृंदावन जाते और बांसुरी बजाते रहे। उनका व्यवहार विचित्र था फिर भी लालू इसे सहन करते रहे। अपनी पत्नी से दुर्व्यवहार और तलाक के केस की वजह से तेजप्रताप चर्चा में आए। लालू परिवार की बदनामी होती रही। अब लालू ने दिल पर पत्थर रखकर अपने कुनबे से तेजप्रताप को बाहर कर दिया और साफ कहा कि वह लोकजीवन में लोकलाज से समझौता नहीं कर सकते।’
पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, कपूत पहले भी रहे हैं। उग्रसेन का बेटा कंस और धृतराष्ट्र के बेटे दुर्योधन और दु:शासन ऐसे ही कपूत थे। लालू ने चारा घोटाला और लैंड फॉर जाब घोटालों से इतना पैसा कमाया लेकिन क्या फायदा! बड़ा बेटा कुलंगार या कुल को डुबोनेवाला निकला। इसीलिए कहावत है- पूत सपूत तो क्या धन संचय! पूत कपूत तो क्या धन संचय! इसका अर्थ है कि सपूत के लिए धन क्यों छोड़ा जाए, वह खुद ही कमा लेगा। इसी तरह कपूत के लिए धन छोड़ना बेकार है। वह उसे अय्याशी में उड़ा डालेगा।’
लेख- चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा