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क्या है आर्टिकल 370, जानिए जम्मू-कश्मीर में क्यों लागू हुआ?

  • By सुनीता पांडे
Updated On: Dec 11, 2023 | 12:47 PM
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नवभारत डिजिटल डेस्क: जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 (Article 370) हटाने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। आर्टिकल 370 (Article 370) हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि, ‘इसे हटाने से जम्मू-कश्मीर को ही फायदा होगा। उन्होंने यह भी कहा कि, ‘ये सभी अधिकार राष्ट्रपति और केंद्र सरकार के पास हैं। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। केंद्र के फैसले पर सवाल उठाना उचित नहीं है।’ लेकिन क्या आप जानते हैं कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 (Article 370) क्यों लागू हुआ और क्या है ये आर्टिकल 370? आइए आपको इस आर्टिकल में विस्तार से बताते हैं।

ऐसे शामिल हुआ ‘आर्टिकल 370’ (Article 370)

15 अगस्त, 1947 को भारत की आजादी के बाद भारत में राज्यों की प्रक्रिया शुरू हुई। जम्मू-कश्मीर एक ऐसा क्षेत्र था जिसने भारत या पाकिस्तान में शामिल होने के प्रस्ताव को नकार दिया। जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह क्षेत्र को स्वतंत्र रखना चाहते थे। 22 अक्टूबर, 1947 में जब पाकिस्तान ने कश्मीर घाटी पर आक्रमण किया, तब जम्मू-कश्मीर के महाराजा ने इसे भारत में विलय को स्वीकृति दे दी। इस विलय की शर्तों के मुताबिक जम्मू-कश्मीर को कुछ विशेष अधिकार दिए गए और भारत के संविधान में 17 अक्टूबर, 1949 को आर्टिकल 370 शामिल किया गया था।

भारत से अलग था जम्मू-कश्मीर का संविधान

आर्टिकल 370 जम्मू-कश्मीर को भारत के संविधान से अलग रखता था। इसके तहत वहां के राज्य सरकार को अधिकार था कि वो अपना संविधान स्वयं तैयार करे। साथ ही संसद को अगर राज्य में कोई कानून लाना है तो इसके लिए यहां की सरकार की मंजूरी लेनी होती थी। वहीं पहले जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रीय ध्वज भी अलग था और यहां के लोगों के लिए राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करना अनिवार्य नहीं था। इस धारा के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर को कई विशेषाधिकार प्राप्त थे।

#BreakingNews | आर्टिकल 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के आदेश को वैध माना, 370 ख़त्म करने का फैसला सही. #Article370 #SupremeCourt #JammuAndKashmir

— Parth Tripathi (@ParthTr94896821) December 11, 2023

इस तरह के थे विशेषाधिकार

जम्मू-कश्मीर के लोगों को दोहरी नागरिकता मिली हुई थी। जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा हुआ करता था। दूसरे राज्य के लोग जम्मू-कश्मीर में कोई जमीन या प्रॉपर्टी खरीदने की मनाही जैसे अधिकार थे। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के विधानसभा का कार्यकाल 6 साल का होता था। भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के संबंध में बहुत ही सीमित क्षेत्रों में ही कानून बनाने का अधिकार रखती थी। भारत की सुप्रीम कोर्ट का कोई भी आदेश जम्मू-कश्मीर के अंदर मान्य नहीं होता था। धारा 370 (Article 370) की वजह से ही कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती थी।

हटाया गया आर्टिकल 370 (Article 370)

भारत सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा खत्म कर जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया और लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 (Article 370) को निरस्त करने और दो क्रेंद्र शासित प्रदेश में बांटने के खिलाफ याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है।

 जानिए क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने

अनुच्छेद 370 पर फैसला सुनाते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘केंद्र के फैसले पर सवाल खड़ा करना उचित नहीं।अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास है। राज्य में युद्ध की स्थिति के कारण यह अस्थायी उद्देश्य के लिए था।’ यही नहीं चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बरकरार रखा जाएगा।’ 

The decision to remove article 370 in jammu and kashmir is right supreme court said president has the right to abolish it

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Published On: Dec 11, 2023 | 12:47 PM

Topics:  

  • Jammu Kashmir
  • Supreme Court

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