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नौकरशाही के सामने बदलाव की चुनौती

  • By navabharat
Updated On: Feb 03, 2022 | 01:39 PM
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की नौकरशाही को कार्य संस्कृति के लिए प्रेरित किया और उसे पूरी सूझबूझ व मेहनत के साथ विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कहा. नया भारत निर्माण करने की प्रक्रिया में नौकरशाही से रचनात्मक नतीजे देने को कहा गया है. आजादी से पहले अंग्रेज भारत पर नौकरशाहों के जरिये ही राज करते थे. लेकिन आजादी के बाद जैसे-जैसे देश की जरूरतें बदलीं, उसके साथ ही धीरे-धीरे नौकरशाही भी बदली. उसका स्टील फ्रेम न सिर्फ कमजोर हुआ, बल्कि अंग्रेजी राज के साथ ही गायब भी हो गया. तब नौकरशाही राज करती थी, अब वह जनता की सेवा करती है. अंग्रेजों के समय प्रशासनिक सेवाएं प्रोसेस ओरिएंटेड थीं जो कि अब आउटपुट ओरिएंटेड हो गई हैं. सार्वजनिक उद्यम के सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) ही खुद एमओयू साइन कर रहे हैं. लक्ष्य तय हो रहे हैं और पूरे किए जा रहे हैं.

पिछले 75 वर्षों के दौरान भारतीय नौकरशाही में कई बड़े बदलाव आए हैं. तब भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों (आईएएस अफसरों) को आम लोगों से ज्यादा मेलजोल न रखने को कहा जाता था. अब जनता से मिलकर ही उनकी समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने पर जोर रहता है. तकनीक में बदलाव से बहुत फर्क आया है. शुरुआत में न टीवी था और न ही कंप्यूटर. बिजली भी 24 घंटे नहीं आती थी. बिजली का बिल भी मीटर की रीडिंग से नहीं आता था, बल्कि महीने का प्रति हॉर्स पावर फिक्स चार्ज होता था. अब सरकार प्रशासनिक अधिकारियों को अपने खर्च पर हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड जैसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में ट्रेनिंग के लिए भेज रही है, जिससे नए विचारों का समावेश हो सके. 

डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर 

हमने तकनीक को विकास के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) से हर तरह का भ्रष्टाचार और देरी खत्म हो गई है. एक बड़ा बदलाव निजी क्षेत्र से लोगों की सीधी भर्ती के रूप में आया है. अभी तक नौकरशाहों का चयन केवल केंद्रीय लोकसेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा के जरिये ही होता था. लेकिन अब अन्य क्षेत्रों में मौजूद सर्वोत्तम प्रतिभाओं को भी सरकार में सर्वोच्च पदों पर सीधे लाया जा रहा है. 

ज्यादातर काम ई-मेल से

सिविल सेवा परीक्षा को 18 भारतीय भाषाओं में आयोजित करने से भी बदलाव आया है. अब देश के कोने-कोने से प्रतिभाएं सिविल सेवा में जगह पा रही हैं. हर भाषा, हर वर्ग और हर सामाजिक स्तर के लोग सिविल सेवा में आ रहे हैं. तकनीक के इस्तेमाल से फैसले लेने की गति बढ़ी है. पहले हर फाइल पर नोटिंग और हस्ताक्षर जरूरी होते थे. अब अधिकतर काम ई-मेल और डिजिटल सिग्नेचर से ही हो जाता है. पहले मसूरी स्थित लालबहादुर शास्त्री प्रशासनिक अकादमी ही एकमात्र प्रशिक्षण केंद्र था, अब हैदराबाद स्थित वीवी गिरी इंस्टीट्यूट जैसे कई और संस्थान प्रशासनिक अफसरों को प्रशिक्षण दे रहे हैं. जब जनता द्वारा चुनी हुई सरकार कोई फैसला ले लेती है तो प्रशासनिक अधिकारियों का काम उस निर्णय को लागू कराने का होता है. 

The challenge of change before the bureaucracy

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Published On: Feb 03, 2022 | 01:39 PM

Topics:  

  • bureaucracy
  • Central Government

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