कहां गायब हुए जगदीप धनखड़ (सौ.डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, जब कोई नेता अचानक निगाह से ओझल हो जाए तो चिंता हो जाती है कि कहां गया? विपक्ष को फिक्र है कि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ कहां लापता हो गए? शिवसेना (उद्धव) के सांसद संजय राऊत ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जिस तरह रूस और चीन में नेताओं को रहस्यमय ढंग से अचानक गायब कर दिया जाता है, वैसा कहीं यहां भी तो नहीं किया गया? 21 जुलाई को सुबह धनखड़ राज्यसभा में हमारे सामने थे।शाम को उनके इस्तीफे की खबर आई।तब से वह कहां हैं? उनका स्वास्थ्य कैसा है? वह किसके साथ हैं इसकी कोई जानकारी किसी को नहीं है?’
हमने कहा, ‘ऐसी शंका-कुशंका नहीं करनी चाहिए।मन में विश्वास रखना चाहिए कि धनखड़ जहां भी होंगे, सकुशल होंगे।हो सकता है कि या तो वह अंतर्धान हो गए होंगे या फिर वह खुद ही अज्ञातवास में चले गए होंगे।यह हमारे देश की पुरानी परंपरा रही है।पांडवों ने 12 वर्ष का वनवास और फिर 1 वर्ष का अज्ञातवास किया था।अज्ञातवास के दौरान वह पांचों भाई वेष बदलकर राजा विराट के यहां रहने लगे थे।युधिष्ठिर राजा विराट के साथ चौसर खेलते थे।एक बार विराट ने खेल में हारने पर चिढ़कर युधिष्ठिर के माथे पर पासे से प्रहार किया था।भीम रसोइया बनकर खाना बनाने लगे थे।अर्जुन ने वृहन्नला या डांस मास्टर बनकर विराट की बेटी उत्तरा को नृत्य सिखाना शुरू किया था।नकुल-सहदेव ने राजा विराट के घोड़ों की देखभाल शुरू की थी।इसी तरह जगदीप धनखड़ भी अज्ञातवास में रहकर कुछ न कुछ खटपट कर रहे होंगे।
बाद में वह खुद सामने आ जाएंगे.’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, यह मामला काफी गंभीर है।राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी धनखड़ के बारे में चिंता जताते हुए कहा कि 22 जुलाई को उन्होंने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया और अभी तक उनकी कोई जानकारी नहीं है।हमने तो ‘लापता लेडीज’ के बारे में सुना था लेकिन लापता वाइस प्रेसीडेंट के बारे में पहली बार अनुभव आया है।न उनका लोकेशन पता है, न उनसे किसी की बातचीत हुई है।क्या हमें हैबियस कार्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका दायर करनी पड़ेगी? सिब्बल ने सरकार पर फिकरा कसते हुए कहा कि आप बांग्लादेशियों को तो एक जगह से दूसरी जगह तक खोज लेते हैं।हमें यकीन है कि आप धनखड़ को भी खोज लेंगे.’
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हमने कहा, ‘धनखड़ न तो सरकार के खिलाफ कुछ बोलना चाहते हैं और न विपक्ष के जाल में फंसना चाहते हैं इसलिए परदे के पीछे चले गए हैं।वह मोदी सरकार के पक्ष में तब से वफादारी दिखा रहे थे जब वह बंगाल के गवर्नर थे।राज्यसभा के सभापति के तौर पर उन्होंने विपक्ष का प्रस्ताव चर्चा के लिए स्वीकार कर लिया।इसलिए सरकार ने उनसे इस्तीफा ले लिया।धनखड़ जाट हैं, इसलिए हरियाणा जैसे जाटलैंड में ही कहीं छिपे होंगे।’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा